भगवद् दर्शन से भी ऊँचा है भगवत्साक्षात्कार !
(पूज्य बापू जी की ज्ञानमयी अमृतवाणी) एक बाई राम-राम रटती थी। बड़ी अच्छी, सात्त्विक बाई थी। एक बार वह रोती हुई शरणानंदजी महाराज के पास गयी और बोलीः “बाबा ! मुझे रामजी के दर्शन करा दो।” बाबा ने कहाः “अब रामरस जग रहा है तो राम में ही विश्रांति पा। दर्शन के पचड़े में मत …