वाह यार ! तेरी लीला…. – पूज्य बापू जी
मैं 17 दिसम्बर (2012) की रात्रि को हरिद्वार आश्रम में जल्दी सो गया था तो दो बजे आँख खुली। जोरों की बरसात हो गयी थी। मैं कुटिया के चारों तरफ घूमने निकला। एक मकड़ी ने ऐसा जाला बुना था कि मैंने कहाः ʹदेख लो, कैसा कलाकार बैठा है ! कैसा कौशल भरा हुआ है !ʹ …