इक घड़ी न मिलते ता कलिजुगु होता….
सिख समाज के पाँचवें गुरु अर्जुनदेव जी बचपन से ही धार्मिक कार्यों और सत्संगियों की सेवा में रूचि लेते थे। अर्जुनदेव अपने पिता गुरु रामदास जी से पिता के नाते उतना लगाव नहीं रखते थे, जितना गुरु के नाते रखते थे। एक भी क्षण के लिए वे अपने गुरु रामदास जी से दूर होना …