292 अप्रैल 2017 ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

माँ सीता का वात्सल्य


(श्री सीता नवमीः 4 मई) पिता को बेटे की भूख उतनी चिंता नहीं होती जितनी माँ की होती है। हनुमान जी राम जी से कभी नहीं कहते कि ‘मुझे भूख लगी है।’ पर जब लंका में सीता जी के पास पहुँचे तो उनके मुँह से यही निकलाः सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा। (श्रीरामचरित. सुं.का. 16.4) …

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भगवत्प्राप्ति का मूल


संत एकनाथ जी हे ॐकारस्वरूप, सहज आत्मस्वरूप देव ! तुम्हें नमस्कार है ! तुम विश्वात्मा होते हुए चतुर्भुज हो। अष्टभुज भी तुम्हीं हो और विश्वभुज अर्थात् अनंतभुज भी तुम्हीं हो। तुम्हारा मैं गुरुत्व से ही गौरव (आदर-सम्मान) करता हूँ। अपने शिष्यों के भाव-अर्थ गुरु के नाम से अभय देने वाले तुम्हीं हो। अभय देकर संसार-दुःख …

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लोक कल्याण की मूर्तिः देवर्षि नारद जी


देवर्षि नारद जयंती 11 मई 2017 पूज्य बापू जी कोई झगड़ालू होता है तो कुछ लोग नासमझी से कह देते हैं कि ‘यह तो नारद है।’ अरे, नारद ऋषि को तुम ऐसी नीची नज़र से क्यों देखते हो ? इससे नारदजी का अपमान करने का पाप लगता है। नारदजी भक्ति के आचार्य हैं। वेद, उपनिषद …

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