स्वाध्याय व उसकी आवश्यकता
क्या है स्वाध्याय ? आत्मसाक्षात्कारी ज्ञानीजनों द्वारा रचित आध्यात्मिक शास्त्रों एवं पुस्तकों का अध्ययन ‘स्वाध्याय’ कहलाता है। पवित्र ग्रंथों का दैनिक पारायण स्वाध्याय है। यह राजयोग के नियम का चौथा अंग है। आत्मस्वरूप के विश्लेषण को या ‘मैं कौन हूँ ?’ के ज्ञान को ही स्वाध्याय की संज्ञा दी जाती है। किसी भी मंत्र के …