हे विद्यार्थियो तुम किस ओर जा रहे हो?
कोई भी मनुष्य पूर्ण रूप से पापी नहीं हो सकता। कुछ-न-कुछ पुण्य का अंश तो रहता ही है। उसी पुण्य के अंश से आप अपने हित के लिए आध्यात्मिक चर्चा सुनते हो, इस प्रकार की पुस्तकें पढ़ते हो और किसी पाप के प्रभाव से सुनते हुए, पढ़ते हुए भी आचरण में नहीं ला पाते हो। …