292 अप्रैल 2017 ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

हे विद्यार्थियो तुम किस ओर जा रहे हो?


कोई भी मनुष्य पूर्ण रूप से पापी नहीं हो सकता। कुछ-न-कुछ पुण्य का अंश तो रहता ही है। उसी पुण्य के अंश से आप अपने हित के लिए आध्यात्मिक चर्चा सुनते हो, इस प्रकार की पुस्तकें पढ़ते हो और किसी पाप के प्रभाव से सुनते हुए, पढ़ते हुए भी आचरण में नहीं ला पाते हो। …

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आद्य शंकराचार्य जी का जीवन


जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य जी का जीवनकाल मात्र 32 वर्ष का था। धर्म व दर्शन के क्षेत्र में तो उनका बहुत बड़ा योगदान है। मानव जीवन के अन्य पहलुओं के लिए भी उनके सद्ग्रंथों से अमूल्य प्रेरणाएँ मिलती हैं। बालकों के लिए आदर्शः शंकर आदर्श बालक का हृदय निर्मल व पारदर्शी होता है। वह जो सोचता …

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सेवा की बलिहारी


महात्मा बुद्ध जयन्ती 10 मई 2017 महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों को ध्यान-अभ्यास बताते थे। किसी का 20 साल के अभ्यास से ध्यान सधा तो किसी का 40 साल के अभ्यास से। किसी का 50 वर्ष के अभ्यास से भी ध्यान नहीं सधा और किसी ने युवावस्था में ध्यान शुरु किया और वृद्धावस्था तक भी ध्यान …

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