301 ऋषि प्रसाद जनवरी 2018

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

राजा वसु पहुँचे आकाश से सीधे पाताल में !


धर्मराज युधिष्ठिर ने भीष्म जी से पूछा कि पितामह ! राजा वसु का पतन किस कारण हुआ था ? तब भीष्म जी ने कहाः भरतनंदन ! इस विषय में ज्ञानीजन ऋषियों और देवताओं के संवादरूप इस प्राचीन इतिहास को उद्धृत किया करते हैं- किससे यज्ञ करें – बकरे या अन्न से ? “अज के द्वारा …

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इतिहास से सीख लेकर सजग हो जायें…


आम तौर पर समाज के लोगों ने पाश्चात्य शिक्षा-पद्धति के कारण यही सीखा है कि हमारी मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान है। परंतु वास्तव में हमारी मूलभूत आवश्यकता क्या है ? राष्ट्र की पहली आवश्यकता सुप्रसिद्ध दार्शनिक कन्फ्यूशियस कहते हैं “राष्ट्र की तीन मुख्य जरूरतें होती हैं – सेना, अनाज और आस्था। इनमें भी …

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‘तत्त्वमसि’ – वही तुम हो, विभु-व्याप्त


सभी वस्तुएँ नश्वर एवं छायामात्र हैं अतः निर्भय रहो। समस्त दृश्य पदार्थ परिवर्तनशील हैं। परिवर्तने नस् धातु स्यात्। परिवर्तनशील को नाशवान कहा जाता है। वास्तव में तत्त्वरूप से किसी का नाश नहीं होता। जैसे सागर में लहरें, बुदबुदे नष्ट होते दिखते हैं पर वास्तविक दृष्टि से, जलरूप से उनका नाश नहीं होता, ऐसे ही दृश्य …

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