परम तत्त्व में विश्रांति-पूज्य बापू जी
इन्द्रियाँ, मन और विषयों के संयोग से जो भी सुख मिलता है वह वास्तव में आपके दुःख को दूर नहीं कर सकता। भगवान कहते हैं, ‘जो सुख नित्य है, प्रकाशस्वरूप है, व्यापक है वह वास्तविक सुख है।’ जैसे स्वप्न बुद्धि द्वारा कल्पित होने से स्वप्न का सुख वास्तविक सुख नहीं है, मिथ्या है वैसे ही …