ईश्वरप्राप्ति के अनुभव का सबसे सुलभ साधन-पूज्य बापू जी
प्रेमास्पद के प्रति प्रेम का आरम्भ है – निष्काम सेवा, सत्कर्म । सेवा प्रेम का आरम्भ है और प्रेम सेवा का फल है । फिर सेव्य और सेवक दो दिखते हैं लेकिन उनकी प्रीति एकाकारता को प्राप्त हो जाती है । जैसे, एक ही कमरे में दो दीये दिखते हैं लेकिन प्रकाश दोनों का एक …