315 ऋषि प्रसादः मार्च 2019

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ब्रह्म-साक्षात्कार के लिए आओ करें अंतःकरण की शुद्धि


शुद्ध अंतःकरण युक्त मुमुक्ष वेदांत का अधिकारी है । अब अंतःकरण-शुद्धि के साधनों पर किंचित् विशेष विचार करते हैं । श्रुति कहती हैः आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः…। (छांदोग्यनोपनिषद् 7.26.2) अर्थात् आहार की शुद्धि से अंतःकरण की शुद्धि होती है । आद्य शंकराचार्य जी ने ‘आहार’ का अर्थ किया हैः ‘आहियत इत्याहारः शब्दादिविषयविज्ञानं….’ । भोक्ता के भोग के …

Read More ..

मुक्तकेशी देवी के संस्कारों का प्रभाव


घुरणी गाँव (जि. नदिया, प. बंगाल) के रहने वाले गौरमोहन जी सदाचारी, सत्संगी, निष्ठावान तथा धर्मपरायण थे । उनकी पत्नी मुक्तकेशी देवी भगवान शिव की अनन्य भक्त थीं । वे संतों के प्रति दृढ़ श्रद्धा रखती थीं व जप, पूजन आदि किये बिना जल तक नहीं लेती थीं । सरलता, दयालुता, सुशीलता, परोपकारिता, दीन-दुःखियों के …

Read More ..

सफलता ऐसे लोगों की परछाई बन जाती है


नेपोलियन अपनी सेना लेकर युद्ध करने जा रहा था । रास्ते में दूर तक फैला हुआ आल्प्स नाम का महापर्वत पड़ा । उसकी ऊँची-ऊँची चोटियों को पार करना सहज नहीं था । फिर भी वह घबराया नहीं, उसने पर्वत चढ़कर पार करने का निश्चय किया । पर्वत के नीचे झोंपड़ी में एक बुढ़िया रहती थी …

Read More ..