315 ऋषि प्रसादः मार्च 2019

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

माँ ! यह गाय तुम्हारा बालक होती तो ?


सावली गाँव (जि. वडोदरा, गुजरात) के एक गरीब घर का बालक था चूनीलाल । उसके घर एक गाय थी । चूनीलाल की माँ घर का सब काम करती, फिर दूसरों के घरों में भी काम करने रोज जाती । इससे गाय की देखभाल के लिए समय नहीं मिलता था । एक दिन माँ ने घर …

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‘कल्याणी’ या ‘अतिकल्याणी’ ?


दयानंद सरस्वती गुरु विरजानंदजी के आश्रम में विद्याध्ययन करते थे । उनका गुरुभाई सदाशिव आलसी एवं उद्दंड था । एक दिन गुरुदेव ने प्रवचन में समझायाः “समय का सम्मान करो तो समय तुम्हारा सम्मान करेगा । समय का सदुपयोग ही उसका सम्मान है । जो सुबह देर तक सोते हैं, पढ़ाई के समय खेलते हैं …

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किसको कहते हैं ऊँची पढ़ाई और तुच्छ पढ़ाई ? – पूज्य बापू जी


जिनके जीवन का लक्ष्य ऊँचा नहीं है वे हलकी इच्छाओं में, हलके दिखावों में, हलके आकर्षणों में खप जाते हैं । जीवन का कोई ऊँचा ध्येय बना लेना चाहिए और ऊँचे में ऊँचा ध्येय तो यह है कि जीवनदाता का अनुभव करें । अनंत ब्रह्मांडों का जो आधार है उसका साक्षात्कार करना ऊँचा लक्ष्य है …

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