328-329 ऋषि प्रसादः अप्रैल-मई 2020

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

भगवान बड़े कि भगवान का नाम बड़ा ? –पूज्य बापू जी


जब हनुमान जी को मृत्युदंड देने उद्यत हुए श्रीराम जी ! (पिछले अंक में आपने पढ़ा कि देवर्षि नारद जी के बताये अनुसार हनुमान जी ने भरी सभा में विश्वामित्र जी को पीठ दिखायी और उनके सामने पूँछ झटक दी । इसे अपना अपमान जानकर विश्वामित्र जी ने श्रीरामजी को आज्ञा दी कि वे हनुमानजी …

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सुखमय जीवन की अनमोल कुंजियाँ


महामारी, रोग व दुःख शमन हेतु मंत्र अग्नि पुराण में महर्षि पुष्कर जी परशुराम जी से कहते हैं कि ”यजुर्वेद के इस (निम्न) मंत्र से दूर्वा के पोरों की 10 हजार आहुतियाँ देकर होता (यज्ञ में आहुति देने वाला व्यक्ति या यज्ञ कराने वाला पुरोहित) ग्राम या राष्ट्र में फैली हुई महामारी को शांत करे …

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नित्य उपासना की आवश्यकता क्यों ?


‘ऋग्वेद’ (1.113.11) में कहा गया हैः ईयुष्टे ये पूर्वतरामपश्यन्व्युच्छन्तीमुषसं मर्त्यासः। अस्माभिरू नु प्रतिचक्ष्याभूदो ते यन्ति ये अपरीषु पश्यान् ।। ‘जो मनुष्य ऊषा के पहले शयन से उठकर आवश्यक (नित्य) कर्म करके परमेश्वर का ध्यान करते हैं वे बुद्धिमान और धर्माचरण करने वाले होते हैं । जो स्त्री-पुरुष परमेश्वर का ध्यान करके प्रीति से आपस में …

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