328-329 ऋषि प्रसादः अप्रैल-मई 2020

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

क्यों होती हैं महामारियाँ ?


आयुर्वेद के ग्रंथ चरक संहिता (विमान स्थानः 3.6) के अनुसार एक ही समय में, एक ही समान लक्षणों वाले तथा अनेक लोगों का विनाश करने वाले रोगों का उदय वायु, जल, देश (स्थान) और काल के विकृत करने से होता है । 1. विकृत वायुः ऋतु-विपरीत बहने वाली अति निश्चल या वेगवाली, अति शीत या …

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महामारी ने इतने नहीं मारे तो किसने मारे ? – पूज्य बापू जी


आप अपने अंतःकरण में द्वेषरहित, अपराधरहित, विकाररहित अवस्था में विश्राम करो फिर जो होगा देखा जायेगा । मैं कई बार कह चुका हूँ, आप अंदर में पक्का संकल्प करो । कोई भी विचित्र परिस्थिति आ जाय, कोई भी कठिन परिस्थिति आ जाय, कोई भी मुसीबत आ जाय – तैयार रहो भीतर से । मुसीबत की …

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यह कर लो तो सारी परेशानियाँ भाग जायेंगी ! – पूज्य बापू जी


एक होती है सत्-वस्तु, दूसरी होती है मिथ्या वस्तु । मन की जो कल्पनाएँ, जो फुरने हैं यह है मिथ्या वस्तु । ‘यह करूँगा तो सुखी होऊँगा’, ‘यह पाऊँगा तो सुखी होऊँगा’ ‘यहाँ जाऊँगा तो सुखी होऊँगा’…. इन वस्तुओं में उलझ-उलझकर ही आपने अपने जीवन को टुकड़े-टुकड़े कर डाला है । सत्-वस्तु से तात्पर्य है  …

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