परमात्मा की कृपा और प्रसन्नता कैसे पायें ? – साँईं श्री लीलाशाह जी महाराज
यह अभिमान न आना चाहिए कि ‘मैंने दूसरों का कोई उपकार किया है । ‘ ऐसा समझना चाहिए कि जो कुछ उन्हें दिया जाता है वह उनके लिए ही प्राप्त हुआ है । जैसे कोई डाकिया डाकघर से प्राप्त की गयी वस्तुएँ, पार्सल आदि लिखे पते पर लोगों को पहुँचाता है परंतु इसलिए उन पर …