344 ऋषि प्रसादः अगस्त 2021

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सद्गुरु की युक्ति को मूर्खता से त्यागो मत


पूज्यश्री के पावन सान्निध्य में श्री योगवाशिष्ठ महारामायण कापाठ चल रहा हैः महर्षि वसिष्ठजी बोलेः “हे राम जी ! एक दिन तुमवेदधर्म की प्रवृत्तिसहित सकाम यज्ञ, योग आदिक गुणों से रहित होकरस्थित हो और सत्संग व सत्शास्त्र परायण हो तब मैं एक ही क्षण मेंदृश्यरूपी मैल दूर कर दूँगा । हे राम जी ! गुरु …

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आप कहाँ समय लगा रहे हैं ? – पूज्य बापू जी


व्यक्ति ज्यों छोटे विचारों को महत्त्व देता है त्यों धीरे-धीरे, धीरेधीरे पतन की खाई में गिरता है और ज्यों-ज्यों वफादारी से सेवा कोमहत्त्व देता है त्यों-त्यों उन्नति के शिखर पर चढ़ता जाता है । अपनीयोग्यता अभी चाहे न के बराबर हो लेकिन जो योग्यता है उसे ईश्वर कीप्रीति के लिए, धर्म की सेवा-रक्षा के लिए …

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दशरथ जी की सभा में छलका जनक जी के दूतों का ज्ञानामृत


जब राजर्षि जनक के दूतों ने महाराज दशरथ को भगवानश्रीरामचन्द्रजी द्वारा शिव-धनुष टूटने का समाचार सुनाया तब भाव सेउनका हृदय भर आया और अत्य़धिक स्नेह के कारण वे अपने पद कीगरिमा भूल गये और दूतों को पास बैठाकर कहने लगेः“भैआ कहहु कुसल दोउ बारे ।भैया ! क्या मेरे दोनों नन्हें पुत्र कुशल हैं ?”जनकपुर के …

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