सद्गुरु की युक्ति को मूर्खता से त्यागो मत
पूज्यश्री के पावन सान्निध्य में श्री योगवाशिष्ठ महारामायण कापाठ चल रहा हैः महर्षि वसिष्ठजी बोलेः “हे राम जी ! एक दिन तुमवेदधर्म की प्रवृत्तिसहित सकाम यज्ञ, योग आदिक गुणों से रहित होकरस्थित हो और सत्संग व सत्शास्त्र परायण हो तब मैं एक ही क्षण मेंदृश्यरूपी मैल दूर कर दूँगा । हे राम जी ! गुरु …