आपकी चिंताएँ, दुःख आदि मुझे अर्पण कर दो !
ब्रह्मवेत्ता महापुरुष अपनी ब्रह्ममस्ती में मस्त रहते हुए भीअहैतुकी कृपा करने के स्वभाव के कारण संसार के दुःख, चिंता आदितापों से तप्त मानव को ब्रह्मरस पिलाने के लिए समाज में भ्रमण करतेहुए अनेक अठखेलियाँ करते रहते हैं । एक बार भगवत्पाद साँईं श्रीलीलाशाह जी महाराज आगरा में सत्संग कर रहे थे । बहनों-माताओं कोव्यर्थ चिंता, …