Tithi-Tyouhar

पुण्य – अर्जन का पर्व मकर संक्रांति


  (१४ जनवरी : पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त तक ) संक्रांति का अर्थ है बदलाव का समय | उत्तरायण से देवताओं का ब्राह्ममुहूर्त शुरू हो जाता है | अत: हमारे ऋषियों ने उत्तरायण को साधना व परा – अपरा विद्याओं की प्राप्ति के लिए सिद्धिकाल माना है | मकर संक्रांति पर स्नान, दान व्रत, …

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उत्तरायण हमें प्रेरित करता है जीवत्व से ब्रह्मत्व की ओर – मकर संक्रांति – १४ जनवरी


  पूज्य बापूजी कहते हैं – उत्तरायण कहता है कि सूर्य जब इतना महान है, पृथ्वी से १३ लाख गुना बड़ा है, ऐसा सूर्य भी दक्षिण से उत्तर की ओर आ जाता है तो तुम भी भैया ! नारायण ! जीवत्व से ब्रह्मत्व की ओर आ जाओ तो तुम्हारे बाप क्या बिगड़ेगा ? तुम्हारे तो …

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उन्नत होने का संदेश देता है – मकर संक्रांति का पर्व


  ऋषि – मुनियों व ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों ने दिशाहीन मानव को सही दिशा देने के लिए सनातन धर्म में पर्वों व त्यौहारों की सुंदर व्यवस्था की है | यह व्यवस्था आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति, चित्तशुद्धि, संकल्पशक्ति की वृद्धि, ईश्वर की भक्ति और श्रद्धा के विकास, वातावरण की पवित्रता, विचारों को उच्च एवं परिष्कृत करने, आत्मिक …

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