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गुरुकुलों के शोधकार्यों को मिला अंतर्राष्ट्रीय सम्मान


8 सितम्बर 2014 को लखनऊ में 7वें ‘अंतर्राष्ट्रीय गोलमेज शिक्षाविद् सम्मेलन’ में पूज्य बापू जी द्वारा प्रेरित ‘गुरुकुल शिक्षण प्रणाली’ पर आधारित दो शोधकार्यों को सम्मानित किया गया। इस सम्मेलन में अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड और एशिया के अन्य देशों से 500 से अधिक शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने भाग लिया जिनके समक्ष इन शोधकार्यों पर वक्तव्य भी दिया गया।

प्रथम शोधकार्य में शिक्षण को सामान्य विद्यार्थी और शिक्षकों के लिए तनाव व बोझरहित बनाने तथा जिज्ञासा जगाकर रूचिपूर्ण तरीके से पढ़ाने की युक्तियाँ हैं। दूसरे शोधकार्य में संस्कार एवं अध्यात्म को एक रोचक ढंग से शिक्षण में सम्मिलित करने की विधि बतायी गयी है, जिससे हँसते-खेलते सामान्य विषयों (विज्ञान-गणित आदि) के द्वारा ही विद्यार्थियों में संस्कारों और आध्यात्मिकता का समावेश किया जा सकता है। फिनलैण्ड व ऑस्ट्रेलिया के शिक्षाविदों ने इसमें विशेष रूचि दिखायी।

गुरुकुल शिक्षकों एवं प्राचार्यों के सहयोग से किये गये इन शोधकार्यों पर आधारित पाठ्यक्रम को कई गुरुकुलों में लागू किया जा रहा है। आने वाले कुछ वर्षों में सभी गुरुकुल तथा अन्य शिक्षण संस्थान भी इस प्रणाली को अपनायेंगे ताकि मैकाले प्रणाली को मूल से मिटाकर भारत की गुरुकुल पद्धति को विश्वपटल पर फिर से आसीन किया जा सके। जो साधक अपने स्कूल चलाते हों या चलाना चाहते हों, वे इस प्रणाली के बारे में मार्गदर्शन अहमदाबाद मुख्यालय से प्राप्त करें।

ईमेल- gurukul@ashram.org Phone- 9023268823

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2014, पृष्ठ संख्या 10, अंक 262

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