श्री सुरेश चव्हाणके, चेयरमैन, ‘सुदर्शन चैनल’
पूज्य बापू जी के श्रीचरणों में सादर प्रणाम ! आज इस दुनिया की बेईमानी का, दुष्कृत्यों का सबसे बड़ा शत्रु अगर कोई है तो बापू जी हैं। इसलिए उनके ऊपर सबसे ज्यादा हमले (षडयन्त्र) हो रहे हैं। जो किसी को नुक्सान नहीं पहुँचा सकता है उस पर कोई क्यों हमला करेगा ? बापू जी में हौसला है, हिम्मत है। पूज्य बापू जी ने धर्माँतरण रोकने का बहुत बड़ा काम किया है।
आध्यात्मिक कार्य में बापू जी के 50 साल तो कम-से-कम हो ही गये हैं। इतने सालों में 6 करोड़ भक्त हैं। मैं इस आँकड़े को कम करके कहता हूँ क्योंकि कोई यह न कहे कि यह बढ़ावा है। माना 2 करोड़ भक्त 50 सालों तक अगर शराब नहीं पीते हैं तो 18 लाख 82 हजार करोड़ रूपये बचते हैं। अगर सिगरेट का आँकड़ा निकालें तो 11 लाख करोड़ 36 हजार रूपये होता है। ऐसे ही गुटके का आँकड़ा है। बापू जी के सुसंस्कारों से जिनके कदम डांस बार जाने से रूके उनके आँकड़े भी ऐसे ही होंगे। ब्रह्मचर्य का जो संदेश बापू जी ने दिया है, उससे अश्वलील सामग्री बनाने वाली कम्पनियों का लाखों करोड़ों रूपये का नुक्सान होता है। इन सारे आँकड़ों को मैं अभी जोड़ ही रहा था तो ये आँकड़े कई लाख खरब में जा रहे हैं। इतने खरब रुपये का बापू जी ने जिन कम्पनियों का नुकसान किया है, उनके लिए कुछ हजार करोड़ रूपये बापू जी के खिलाफ लगाना कौन सी बड़ी बात है ! इसके पीछे का असली अर्थशास्त्र यह है।
जो पिछले 1200 साल में सम्भव नहीं हुआ वह आने वाले 10 सालों में दिख रहा है। इन 10 सालों में इस देश को गुलाम बनाने से रोकने में सबसे जो बड़ी शक्ति है तो वह आशारामजी बापू हैं। इसी कारण ये सबसे ज्यादा निशाने पर हैं। ऐसे में हम लोगों को इनका साथ देना जरूरी है क्योंकि बापू जी की प्रवृत्ति तो माफ करने की है और हमारी प्रवृत्ति होनी चाहिए सजा देने की। व्यक्ति अगर संस्कारित नहीं होगा तो अपराध बढ़ेगा और अपराध केवल व्यक्तिगत नहीं, सामाजिक अपराध बढ़ेगा। हमारी बहनें और माताएँ, बेटियाँ सुरक्षित नहीं रहेंगी, यह भी एक बड़ा परिणाम है।
ये सारे चैनल दो कारणों से दुष्प्रचार करते हैं। एक तो बड़ा कारण है स्पोंसरशिप, दूसरा कारण है टी आर पी। एक आसान काम है, जब भी ऐसी न्यूज शुरु हो तो देश के करोड़ों भक्त उन चैनलों को बन्द कर दें। अगर 6 करोड़ साधक ऐसे चैनल बंद कर दें तो ये सारे अनाप-शनाप बोलने वाले बंद हो जायेंगे। सबसे पहले अगर कुछ करना है तो यह करना है। उसके बाद बाकी चीजें करनी हैं। दूसरा, सोशल मीडिया में ऐसे चैनलों के जो पेज हैं उनको डिस्लाईक करें, उन पर अपनी बातों को रखें। तीसरा, जिन टी.वी. चैनलों पर हमारे बापू जी, हमारे धर्म की बदनामी की जा रही है उन पर जो विज्ञापन चल रहे हैं उन कम्पनियों की वेबसाईट से उनके नम्बर और ईमेल आई डी निकालिये और उनको बोलिये की ‘तुम जिस चैनल को विज्ञापन देते हो वह चैनल मेरे बापू जी का दुष्प्रचार करता है, इस पर विज्ञापन दोगे तो तुम्हारा प्रोडक्ट नहीं लेंगे।’ यह उपाय अपनाइये। चौथा, संत-सम्मेलन तहसील, जिला, राज्य स्तरर पर, विभिन्न जगहों पर किये जायें और वहाँ विभिन्न लोगों को बुलाकर उनके सामने ये आँकड़े रखें। आखिर आज भी टीवी से कई गुना ज्यादा प्रत्यक्ष सत्संग का परिणाम होता है। सत्य और मजबूत होगा। इस लड़ाई के लिए मीडिया में और अच्छे लोगों की जरूरत है, ‘सुदर्शन’ जैसे कई चैनलों की आवश्यकता है। हमको भी कई पत्रकारों की जरूरत है। अच्छे लोग पत्रकारिता में आयें क्योंकि गंदगी को साफ करने का एक तरीका है कि उस पर ज्यादा अच्छा पानी डालो तो गंदगी दूर हो जायेगी।
पिछले 8 वर्षों से ‘वेलेंटाइन डे’ को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाने से तमाम महँगे-महँगे गिफ्टस, ग्रीटिंग कार्डस बेचने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के व्यापार पर इसका असर हुआ है। और यहाँ बात केवल बापू जी की नहीं है, तमाम साधु-संतों की है। मैं दावा कर सकता हूँ कि अगर यह लड़ाई आपने नहीं जीती तो साधु-संतों के बाद ऐसा सामाजिक कार्यकर्ता जो स्वदेश और देश-धर्म की बात करता है उसका नम्बर लगना तय है। आज बापू जी हैं, कल आप और हम हैं।
इस धरने से अथवा बापू जी के बाहर आने के बाद यह लड़ाई खत्म हुई, ऐसा नहीं है। अब यह लड़ाई शुरु हो चुकी है और यह लड़ाई तब तक जारी रहनी चाहिए, जब तक इस देश के खिलाफ षडयन्त्र खत्म नहीं होता। इस देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि किन्हीं संत पर कार्यवाही हुई और उनके लाखों भक्त सड़कों पर आये हैं।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 13,14 अंक 250
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ