जिनको अपनी दरिद्रता मिटाना है ध्यान से सुनें । दरिद्रता तो नहीं है, लेकिन धंधे में बरकत लाना है तो तुलसी के पौधे की सोमवती अमावस्या के दिन 108 परिक्रमा करें । दरिद्रता मिटाने के लिए, जॉबर लोगों के लिए तो बहुत जरुरी है ये, जो नौकर है , गुलाम हैं । सर्विस कहो जॉब कहो एक ही बात है । जरा मीठा शब्द है जॉब । गुलामी करते-करते दिमाग ऐसा बन जाता है कि कहीं नौकरी न छूट जाये, कहीं बॉस न रूठ जाये । अरे ईश्वर रूठा रहता है उसकी तुम्हे शर्म नहीं आती और दो पैसों के पुतले को मना-मनाकर मरे जा रहे हो । इश्वर को एक बार मना लो, फिर सारी दुनिया तुम्हे मनाने के लिए तुम्हारे पीछे-पीछे न घूमे तो मेरे पास चले आना ।
भागती फिरती थी दुनिया जब कि तलब करते थे हम,
अब कि ठुकरा दी तो वो बेक़रार आने को है…
जो जॉबर लोग है अथवा जो धंधे में फेल हुए हैं अथवा तो जिनको किसी का लेना है, क़र्ज़ है और क़र्ज़ चुकाने की नीयत अच्छी है तो बरकत आएगी नहीं तो कंगले हो जाओगे, पक्की बात है । किसी का कर्जा सिर पर लेकर मरना बहुत खतरा है । कई जन्मों के बाद भी चुकाना पड़ता है, कोर्ट-कचहरीवाले कुछ न करे तभी भी कर्म का सिद्धांत है । ऐसे कई दृष्टांत है अपने पास ।
तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करे और उस दिन मौन रहे, मन्त्र जप करे तो ग्रहण के समय, जन्माष्टमी के समय, होली और दिवाली की रात को जो फायदा होता है जप-ध्यान का, तप का, वह फायदा ………पक्का कर लेना । सौ काम छोड़कर भोजन कर लें , हज़ार काम छोड़ कर स्नान कर लें, लाख काम छोड़ कर सत्कर्म कर लें।
कोटि त्यक्त्वा हरि भजेत – करोड़ काम छोड़कर सोमवती अमावस्या को हरि का भजन और तुलसी की परिक्रमा तुम्हे करनी ही चाहिये । अगर नहीं करते तो तुम मेरे शिष्य ही नहीं हो । महिला मासिक धर्म में हो तो उसको छूट है, बाकी के लोग ये जरुर करना । इससे आपको बहुत लाभ होगा धन-लाभ, आर्थिक-लाभ भी होगा, बुद्धि-लाभ भी होगा, पुण्य-लाभ भी होगा ।
-पूज्य बापूजी