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Anmol Yuktiyan

उच्च व निम्न रक्तचाप हो तो… – पूज्य बापू जी



जिनको उच्च रक्तचाप (हाईपरटेंशन) है उनको डरने की जरूरत
नहीं है । यह कोई बीमारी है क्या ? कटोरी में पानी लेकर सामने रखो
और उसमें देखते हुए ‘हरि ॐ शांति, हरि ॐ शांति, हरि ॐ शांति…’
जप करो फिर उसे पी लो । दूसरा उच्च रक्तचाप मिटाने का एक सुन्दर
नुस्खा है – किशमिश एक साथ 3-4 बार धोकर सुखा दे (रोज-रोज न
धोये) । उसका एक दाना गुलाब जल में रात को भिगो दें । सुबह
भगवान का नाम लेकर – ‘नारायण… नारायण…नारायण… नारायण…’
जप करके चबा के खा ले । दूसरे दिन 2 दाने, तीसरे दिन 3 दाने, चौथे
दिन 4…. इस प्रकार 21 वें दिन 21 दाने ले । फिर 1-1 किशमिश
प्रतिदिन कम करते हुए 20, 19,18, इस तरह 1 किशमिश तक आयें ।
बस पूरा हो गया । उच्च रक्तचाप गया । फिर भी कहीँ अंश न रह
जाय इसलिए 10-15 दिन का अंतर देकर 1-2 बार फिर यह प्रयोग कर
लो । उच्च रक्तचाप सदा के लिए भाग जायेगा । कई लोगों को लाभ
हुआ है । सरल उपाय है, दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट्स) नहीं है और कोई
खास खर्चा नहीं है ।
और निम्न रक्तचाप (लो बी.पी) हुआ तो ? निम्न रक्तचाप हुआ
तो हीनता के विचार हटाकर ‘ॐ…ॐ…ॐ… सर्वेश्वर परमेश्वर हमारे साथ
हैं ।’ ऐसे विधेयात्मक विचार करो । गहरा श्वास लेकर रोको और ‘हरि
ॐ, हरि ॐ, हरि ॐ… हा… हा… हा… ‘ (देव-मानव हास्य प्रयोग) करो
। निम्न रक्तचाप अपने-आप ठीक हो जाता है ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2022, पृष्ठ संख्या 32 अंक 356
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यह सुंदर व सरल साधना सभी का कल्याण करेगी – पूज्य बापू जी


सुबह नींद से उठो तो थोड़ी देर शांत हो जाओ । नींद में से उठते हैं तो वैसे ही शांति रहती है । उसके बाद चिंतन करो कि ‘जो सत्, चित् है, आनंदस्वरूप है और मेरे हृदय में फुरफुरा रहा है, जो सृष्टि की उत्पत्ति,  स्थिति और संहार का कारण है और मेरे शरीर की उत्पत्ति, स्थिति और लय का कारण है, उस सच्चिदानंद का मैं हूँ और वह मेरा है । ॐ शांति… ॐ आनंद… इस प्रकार तुम नींद में से उठ के लेटे-लेटे अथवा बैठ के शांत रहोगे तो मैं कहता हूं कि दो दिन की तपस्या से वह 2 मिनट की विश्रांति ज्यादा फायदा करेगी, पक्की बात है ! ऐसे ही रात्रि को सोते समय दिन में जो कुछ अच्छे भले काम हुए हों उनका फल ईश्वर को सौंप दो और गलती हो गयी हो तो कातर भाव से प्रार्थना कर लो । फिर लेट गये और श्वास अंदर जाय तो ॐ, बाहर आय तो 1… श्वास अंदर जाय तो शांति, बाहर आये तो 2… इस प्रकार श्वासोच्छ्वास की गिनती करते-करते सो जायें । इस प्रकार सोने से रात की निद्रा कुछ सप्ताह में योगनिद्रा बनने लगेगी । यह साधना दुःख निवृत्ति, परमात्मप्राप्ति में बड़ी सहायक है । ऐसी सुंदर और सरल साधना सभी जातियों का, सभी लोगों का जल्दी कल्याण करेगी ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2022, पृष्ठ संख्या 23 अंक 352

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परिप्रश्नेन


प्रश्नः मन एकाग्र नहीं होता है तो क्या करें ?

पूज्य बापू जीः तुम्हारा मन एकाग्र नहीं होता है तो सबका हो गया क्या ? मन एकाग्र नहीं होता तो अभ्यास करना चाहिए । भगवान के, सद्गुरु, स्वस्तिक अथवा ॐकार के सामने बैठकर एकटक देखने का अभ्यास करो । मन इधर-उधर जाय तो फिर से उसे मोड़कर वहीं लगाओ । कभी-कभी चन्द्रमा की ओर देखते हुए आँखें मिचकाओ, उसको एकटक देखो । कभी श्वासोच्छ्वास को गिनो । श्वास अंदर जाता है तो ‘शांति’, बाहर आता है तो ‘1’… अंदर जाता है तो ‘ॐ’, बाहर आता है तो ‘2’… अंदर जाता है तो ‘आनंद’, बाहर आता है तो ‘3’… ऐसे 54 या 108 तक गिनती तक करो । मन कुछ अंश में एकाग्र होगा, मजा भी आयेगा और शरीर की थकान भी मिटेगी ।

प्रश्नः कर्तव्य क्या है ?

पूज्य बापू जीः ईश्वर में स्थिर होना और औरों को स्थिर करना – यह कर्तव्य है । बाकी का सब बेवकूफी है । आप ईश्वर में स्थिर हो जाओ फिर दूसरों को करा दो – यह कर्तव्य है । तो सब तो सत्संग नहीं करेंगे । नहीं-नहीं, आप जो भी काम करें वह ईश्वर में स्थिर होने के लिए करें तो उससे आप भी स्थिर होते जायेंगे और दूसरे को भी सहायक हो जायेंगे न ! कर्तव्य से चूका कि धड़ाक… दुःख चालू । ईश्वर के विचार से, आत्मविचार से जरा-सा नीचे हटे कि मन पटक देगा । जो अपनी शांति सँभाल नहीं सकता, अपनी प्रसन्नता सँभाल नहीं सकता, अपना कर्तव्य सँभाल नहीं सकता वह तो जीते-जी मरा हुआ है ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, फरवरी 2022, पृष्ठ संख्या 34 अंक 350

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