सर्वरोगहारी निम्ब (नीम) सप्तमी

सर्वरोगहारी निम्ब (नीम) सप्तमी


निम्ब सप्तमीः 2 मई 2017

‘भविष्य पुराण’ ब्राह्म पर्व में मुनि सुमंतु जी राजा शतानीक को निम्ब सप्तमी (वैशाख शुक्ल सप्तमी) की महिमा बताते हुए कहते हैं- “इस दिन निम्ब पत्र का सेवन किया जाता है। यह सप्तमी सभी तरह से व्याधियों को हरने वाली है। इस दिन भगवान सूर्य का ध्यान कर उनकी पूजा करनी चाहिए। सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए नैवेद्य के रूप में गुड़ोदक (गुड़ मिश्रित जल) समर्पित करे व भगवान सूर्य को निवेदित करके 10-15 कोमल पत्ते प्राशन (ग्रहण) करेः

त्वं निम्ब कटुकात्मासि आदित्यनिलयस्तथा।

सर्वरोगहरः शान्तो भव मे प्राशनं सदा।।

‘हे निम्ब ! तुम भगवान सूर्य के आश्रय स्थान हो। तुम कटु स्वभाव वाले हो। तुम्हारे भक्षण करने से मेरे सभी रोग सदा के लिए नष्ट हो जायें और तुम मेरे लिए शांतस्वरूप हो जाओ।’

इस मंत्र से निम्ब का प्राशन करके भगवान सूर्य के समक्ष पृथ्वी पर आसन बिछाकर बैठ के सूर्यमंत्र का जप करे। भगवान सूर्य का मूल मंत्र है ‘ॐ खखोल्काय नमः।’ सूर्य का गायत्री मंत्र है- ‘ॐ आदित्याय विद्महे विश्वभागाय धीमहि। तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।’

इसके बाद मौन रहकर बिना नमक का मधुर भोजन करे।”

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2017, पृष्ठ संख्या 26, अंक 292

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