आगरा में सम्पन्न हुई गुरुकुलों की राष्ट्रस्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला

आगरा में सम्पन्न हुई गुरुकुलों की राष्ट्रस्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला


‘गुरुकुल केन्द्रीय प्रबंधन समिति’ द्वारा 5 से 7 मई 2017 तक ‘संत श्री आशाराम जी पब्लिक स्कूल, आगरा’ में ‘गुरुकुल अभ्यास वर्ग एवं प्रशिक्षण कार्यशाला’ का आयोजन किया गया। कार्यशाला में भाग लेने पहुँचे देशभर के संत श्री आशाराम जी गुरुकुलों के प्रधानाचार्यों, शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं गृहपतियों (छात्रावास) अध्यक्षों) ने विद्यार्थियों की उन्नति से जुड़े कई पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। शिक्षा-क्षश्रेत्र में कार्यरत व सेवानिवृत्तत कई वरिष्ठ अनुभवी विद्वानों ने भी कार्यशाला में सम्मिलित होकर गुरुकुलों में दी जा रही शिक्षा की सराहना की व अपने विचार व्यक्त किये। कार्यशाला की पूर्णाहूति के दिन पूज्य श्री का संदेश आया, जिसे पाकर सबका हृदय आनंदित हो उठा और प्यारे गुरुवर की याद में नेत्र छलक पड़े।

पूज्य बापू जी का पावन संदेश

विद्यार्थियों व समाज में यह प्रसाद वितरित हो !

आगरा में ऊँचे उद्देश्य के लिए एकत्र हुए सभी भाई बहनों !

मनुष्य जीवन दुर्लभ है एवं क्षणभंगुर है। उसमें भी महापुरुषों का सम्पर्क और जीवन का उद्देश्य जानना और पाना परम-परम सौभाग्य है। डॉक्टर बनूँ, सेठ बनूँ, आचार्य बनूँ…. – ये बनाये हुए उद्देश्य पूरे होने के बाद भी मनुष्य ऊँची-नीची योनियों में भटकता फिरता रहता है। प्राणीमात्र का असली उद्देश्य अपने ‘सत्’ स्वभाव, चेतनस्वभाव, आनंदस्वभाव को आत्मज्ञान से पाना है।

न हि ज्ञाने सदृशं पवित्रमिह विद्यते। (गीताः 4.38)

अपना गुरुकुल चलाने का उद्देश्य है कि शिक्षक-शिक्षिकाएँ, आचार्य, गृहपति अपने कर्म को कर्मयोग, ज्ञानयोग बना दें। उनके ऊँचे उद्देश्य का फायदा विद्यार्थियों को मिले। उनका कुल खानदान धन्य हो जाय। भगवान शिव माता पार्वती को कहते हैं-

धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः।

धन्या च वसुधा देवि यत्र स्याद् गुरुभक्तता।।

आप सभी को शाबाश है ! ऊँचे उद्देश्य को बनाना नहीं है, जानना है। छोटे आकर्षणों से बचकर शाश्वत आत्मा-परमात्मा का लाभ पाना है।

आत्मलाभात् परं लाभं न विद्यते।

आत्मज्ञानात् परं ज्ञानं न विद्यते।

आत्मसुखात् परं सुखं न विद्यते।

हम चाहते हैं कि आपको वह खजाना मिले व आपके द्वारा विद्यार्थियों व समाज में उसका प्रसादरूप में वितरण हो। प्रसादे सर्वदुःखानाम्….. उस प्रसाद से सारे दुःख सदा के लिए मिट जाते हैं। शरीर चाहे महल में रहें, चाहे जेल में रहें, आप सच्चिदानंद में रहना जान लो। यही शुभकामना…. इससे बड़ी शुभकामना त्रिलोकी में नहीं है।

शाबाश वीर ! धन्या माता पिता धन्यो… शिवजी का यह वचन तुम्हारे जीवन में सार्थक हो जायेगा।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2017, पृष्ठ संख्या 31, अंक 294

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