भगवान उसी पर खुश होते हैं – पूज्य बापू जी

भगवान उसी पर खुश होते हैं – पूज्य बापू जी


भगवान उसी पर खुश होते हैं जो माता-पिता को देव समान मानता है – ‘सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता’ और गुरु में ब्रह्मा जी को देखता है, गुरु में विष्णु जी को देखता है, गुरु को शिवजी में देखता है तथा शिवजी को गुरु में देखता है ।

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।

गुरुर्साक्षात्परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।

ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः पूजामूलं गुरोः पदम् ।

मन्त्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ।।

ऐसा जो जानता है उस पर भगवान और गुरु जो कि एक ही आत्मा है किंतु दो दिखते हैं, गुरु ज्ञान के देवता हैं एवं भगवान प्रेम के देवता हैं, अतः दोनों की प्रसन्नता से – गुरु का ज्ञान और भगवान का प्रेम एक साथ जब जीवन में आता है तो जीवन भगवान के लिए उपयोगी, समाज के लिए उपयोगी और अपने लिये भी उपयोगी हो जाता है ।

चार चीजें

मोक्ष के चारों द्वारपालों से मित्र भावना करो । जब उनसे मित्रभाव होगा तब वे मोक्षद्वार में पहुँचा देंगे और तुमको आत्मदर्शन (आत्मानुभव) होगा । उनके नाम हैं शम, संतोष, विचार एवं सत्संग । संतोष परम लाभ है । विचार परम ज्ञान है । शम (मन को रोकना) परम सुख है । सत्संग परम गति है ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, मार्च 2021, पृष्ठ संख्या 19 अंक 339

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *