तो उसको जहर चढ़ जायेगा
मन में बड़ी शक्ति है । आपने देखा होगा कि साँप काटता है तो कई व्यक्ति मर जाते हैं । लगभग 80 प्रतिशत साँप बिना जहर के होते हैं परंतु अगर गहरे मन में यह बात बैठ गयी है कि साँप ने काटा है, मैं मर जाऊँगा ।’ तो डॉक्टर की दवाई भी काम नहीं करेगी । ऐसे व्यक्ति को साँप का जहर उतरवाने के लिए ले जाते हैं, जहर उतारने वाला व्यक्ति मंत्र करके जहर उतरता है, अगर पीड़ित व्यक्ति के मन में आ गया कि ‘मेरा जहर उतर गया’ तो सचमुच उसका जहर उतर जाता है परंतु उसको लगा कि ‘ठीक मंत्र नहीं पढ़ा, जहर नहीं उतरेगा’ तो फिर उसको जहर चढ़ जायेगा ।
सादा पानी बना कातिल जहर
अमेरिका की सत्य घटना है । एक व्यक्ति को मृत्युदंड घोषित हो गया था । वैज्ञानिक ने अपने मित्र न्यायाधीश को कहाः “जब इस व्यक्ति को मृत्युदंड ही देना है तो मुझे एक प्रयोग करने दो ।” न्यायाधीश ने अपनी नौकरी का खतरा मोल लेकर भी प्रयोग करने दिया । वहाँ 3 तरीकों से मृत्युदंड दिया जाता थाः 1. कुर्सी पर बिठाकर शरीर में विद्युत प्रवाहित करने का बटन दबा दिया और उससे व्यक्ति छटपटा के मर जाय । 2. कोठरी में बंद कर देते और उसमें ऐसी गैस छोड़ते कि वह घुट-घुट के मर जाय । 3. रेशम के धागे से फाँसी पर लटका दिया जाय । इस वैज्ञानिक ने एक नया तरीका अपनाया । जिस व्यक्ति को अमुक तारीख को 5 बजे मृत्युदंड मिलना था, उस वयक्ति के पास वैज्ञानिक उसी दिन 4 बजे पहुँच गया । न्यायाधीश एवं सब लोग बैठे थे । वैज्ञानिक ने उस व्यक्ति से कहाः “अगर तू कोठरी में जायेगा तो घुट-घुट के मरेगा, फाँसी लगेगी तो तड़प-तड़प के मरेगा और कुर्सी पर बैठेगा तो भी करेंट से छटपटा के मरेगा । इससे अच्छा यह है कि मेरे पास एक तरल जहर है, इसका स्वाद एकदम सादे पानी जैसा है परंतु कातिल जहर है । इसका मैं सवा औंस (35.4 ग्राग) और एक प्वाइंट मापकर दूँगा, इसे पीते ही तू मर जायेगा और तेरे को कोई परेशानी भी नहीं होगी । अब तेरी मर्जी है, तू जिस प्रकार से मरना चाहे ।” उसको हुआ कि ‘मेरी मौत होनी ही है तो अंत समय तक तड़प-तड़प के, घुट-घुट के या छटपटा के क्या मरना ! उसने कहाः “सर ! मुझे यही दीजिये ।” 5 बजने में ठीक 2 मिनट बाकी थे । उस वैज्ञानिक ने बराबर सवा औंस और एक प्वाइंट माप-तौल के वह तरल पदार्थ दिया और बोलाः “बस, अब तू पियेगा और मर जायेगा । कोई परेशानी भी नहीं होगी ।” उसके मन में बात बैठ गयी । उसने पिया और ठीक 2 मिनट के अंदर वह मर गया । बाद मे वह वैज्ञानिक उसी बोतल को हाथ में लेकर न्यायाधीशों और जेलरों को कहने लगाः “है कोई माई का लाल जो इसे पी ले ?” उन्होंने बोलाः “हमें अपनी मौत थोड़े ही लानी है !” फिर उनके देखते-देखते वह पूरी-की-पूरी बोतल पी गया । लोगों ने कहाः “यह तुमने क्या किया ?” बोलाः “यह पानी था लेकिन इसके मन में गहरा असर हो गया कि ‘यह जहर है, मैं मर जाऊँगा’ तो यह मर गया ।” यह खबर दूसरे दिन अखबारों में छपी । संकल्पशक्ति ने दी मौत को मात दूसरे दिन वही वैज्ञानिक महाविद्यालय की प्रयोगशाला में हैजा (कोलरा) के जीवाणु कितने खतरनाक होते हैं इस विषय को साधनों के द्वारा समझा रहा था । उसने पानी की बोतल दिखाते हुए कहा कि “इस पानी की एक बूँद में हैजे के इतने जीवाणु हैं कि अगर किसी कुएँ या तालाब में यह पूरी बोतल डाल दी जाय तो ये जीवाणु पूरे-के-पूरे नगर को मार सकते हैं ।” किसी विद्यार्थी ने कहाः “आप बोलते हैं कि मन में अगर है कि ‘मैं मर जाऊँगा’ तभी व्यक्ति मरता है, तो सर ! यह आप थोड़ा सा पी जाइये ।” यह उसके लिए चुनौती थी । अगर हैजे के जीवाणुवाले पानी की 1-2 बूँद भी गिलास में डाल के पीता तब भी वह मर सकता था, उसमें इतने जीवाणु थे। एक क्षण के लिए वह वैज्ञानिक रुक गया फिर दूसरे क्षण अपनी संकल्पशक्ति बढ़ायी कि ‘मैं नहीं मरूँगा, मुझे ये असर नहीं कर सकते हैं ।…’ फिर पूरी-की-पूरी बोतल पी गया ! लोगों ने कहाः “आप तो…?” वह बोलाः “नहीं, पहले तुमने चुनौती दी तो एक मिनट के लिए मैं रुक गया कि ‘अब क्या होगा ?’ फिर अदर से संकल्पशक्ति बढ़ायी कि ‘मुझे कुछ नहीं होगा, मैं तंदुरुस्त रहूँगा’ तो मुझे कुछ नहीं हुआ ।” अगर आपके मन में तीव्र दृढ़ संकल्प है तो अमृत से विष बन सकता है और विष से अमृत बन सकता है । मन का प्रभाव तन पर पड़ता है । इसलिए कपड़ा बिगड़ जाय तो कोई बात नहीं, धन बिगड़ जाय तो कोई बात नहीं, पुत्र-परिवार के संबंध बिगड़ जाय तो कोई बात नहीं, दूसरा चाहे कुछ भी हो जाय किंतु मन को मत बिगड़ने देना क्योंकि उसी के द्वारा मालिक (परमात्म) से मुलाकात हो सकती है, आत्मसाक्षात्कार सकता है । स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2022, पृष्ठ संख्या 16,17 अंक 358 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ