Gurubhaktiyog

अदम्य साहस व समर्पण की अद्भुत कथा….(भाग-2)


कल हम ने सुना श्रावस्ती नगरी अकाल से ग्रसित थी। समाज की पीड़ा देखकर महात्मा बुद्ध ने अपनी सभा में मुक्त आह्वान किया कि जो भी धन से सेवा करना चाहते हो वो आगे आये और इस सेवा को शिरोधार्य करे । दो – तीन बार आह्वान के बाद भी नगर के कई श्रीमंत बहाने …

Read More ..

अदम्य साहस व समर्पण की अद्भुत कथा (भाग-1)


जो उच्चतर ज्ञान चित्त में से निस्पन होता है वह विचारों के रूप में नहीं । अपितु शक्ति के रुप मे होता है ।वह ज्ञान गुरु – शिष्य के प्रति सीधे सीधे संक्रमित करते हैं ।ऐसे गुरु चित्त शक्ति के साथ एक रुप होते हैं ।ईश्वर साक्षात्कार केवल स्व प्रयत्न से ही नहीं हो सकता …

Read More ..

बस एक भूल ने उस दानव को भेजा पुनः गर्भवास में…..


एक सनिष्ठ शिष्य अपने आचार्य की सेवा में अपने सम्पूर्ण मन एवं हृदय को लगा देता है । तत्तपर शिष्य किसी भी परिस्थिति में अपने गुरु की सेवा करने का साधन खोज लेता है ।अपने गुरु की सेवा करते हुए जो साधक सब आपत्तियों को सह लेता है वह अपने प्राकृत स्वभाव को जीत सकता …

Read More ..