Gurubhaktiyog

कृतघ्न, निंदक बनता है अपने ही विनाश का कारण….


गुरूभक्तियोग के मुख्य सिद्धान्त गुरूभक्तियोग की फिलॉसफी के मुताबिक गुरु एवं ईश्वर एकरूप हैं। अतः गुरू के प्रति सम्पूर्ण आत्मसमर्पण करना अत्यंत आवश्यक है। गुरू के प्रति सम्पूर्ण आत्म-समर्पण करना यह गुरूभक्ति का सर्वोच्च सोपान है। गुरूभक्तियोग के अभ्यास में गुरूसेवा सर्वस्व है। गुरूकृपा गुरूभक्तियोग का आखिरी ध्येय है। मोटी बुद्धि का शिष्य गुरूभक्तियोग के …

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‘कल्याणी या अतिकल्याणी?’….


ईमानदारी के सिवाय गुरूभक्तियोग में बिल्कुल प्रगति नहीं हो सकती। महान योगी गुरू के आश्रय में उच्च आध्यात्मिक स्पन्नदनोंवाले शान्त स्थान में रहो। फिर उनकी निगरानी में गुरूभक्तियोग का अभ्यास करो। तभी आपको गुरूभक्तियोग में सफलता मिलेगी। ब्रह्मनिष्ठ गुरू के चरणकमल में बिनशर्ती आत्मसमर्पण करना ही गुरूभक्तियोग का मुख्य सिद्धान्त है। दयानन्द सरस्वती गुरु विराजनन्दजी …

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सिद्ध परंपरा का वह अद्भुत प्रसंग जो आपका जीवन बदल देगा….


गुरूभक्ति योग ही सर्वोत्तम योग है। कुछ शिष्य गुरु के महान शिष्य होने का आडम्बर करते हैं। लेकिन उनको गुरु वचन मे या कार्य मे विश्वास और श्रद्धा नही होती जो अद्वितीय है। सर्वशक्तिमान गुरु की संपूर्ण शरण मे जाओ। गुरु भक्ति योग आपको इसी जन्म मे धीरे-धीरे दृढ़ता, निश्चिंतता एवं अविचलता पूर्वक ईश्वर के …

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