Gurubhaktiyog

तीन मूर्तियों की कथा


अपने गुरु को ईश्वर मानकर उनमे विश्वास रखो उनका आश्रय लो ज्ञान की दीक्षा लो। गुरु भक्ति योग शुद्ध विज्ञान है। वह निम्न प्रकृति को वश में लाने की एवं परम आनंद प्राप्त करने की रीती सिखाता है।गुरू मे अविचल श्रद्धा शिष्य को कैसे भी मुसीबत से पार होने की गुढ शक्ति देता है। गुरु …

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बात 16 वी सदी की है जब ब्राह्मण तीर्थाटन करते लोधिराम नगर पहुँचे….


शिष्य को अपने गुरु के अनुकूल होना और उनसे हिल-मिल जाना चाहिए। अच्छी तरह बर्ताव करना माने अपने गुरु के प्रति अच्छा आचरण करना। गुरु शिष्य के आचरण से उसका स्वभाव तथा उसकी मन की पद्धति जान सकते हैं।बात 16 वीं सदी की है। जब तीन कर्मकांडी ब्राह्मण तीर्थाटन से घूमते-घामते अहमदाबाद शहर का लोधिराम …

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सैकड़ों वर्ष पूर्व हो चले त्रिकालज्ञ संत देवायत पंडितजी की भविष्यवाणियां


गुरु की कृपा गुरुभक्तियोग का आखिरी लक्ष्य है। गुरुभक्तियोग का अभ्यास जीवन के परम लक्ष्य आत्मसाक्षात्कार का स्पष्ट एवं सचोट मार्ग प्रस्तुत करता है। जहाँ गुरुकृपा है वहाँ योग्य व्यवहार है और जहाँ योग्य व्यवहार है वहाँ रिद्धि-सिद्धि और अमरता है । मायारूपी नागिन के द्वारा डसे हुए लोगों के लिए गुरु का नाम एक …

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