चित्त की विश्रान्तिः प्रसाद की जननी
पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू हर एक मनुष्य आनंद चाहता है, हर एक मनुष्य सुख चाहता है, हर एक मनुष्य मुक्ति चाहता है। कोई भी बंधन नहीं चाहता है। मानवजात का एक समूह है। उसमें चार प्रकार के मनुष्य हैं। सब मनुष्य आनंद चाहते हैं, हृदय की शांति और शीतलता चाहते हैं। कोई ऐसा नहीं …