109 ऋषि प्रसादः जनवरी 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

प्रार्थना की महिमा


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से किसी ने कहा हैः जब और सहारे छिन जाते, कोई न किनारा मिलता है। तूफान में टूटी किश्ती का, भगवान सहारा होता है।। सच्चे हृदय की पुकार को वह हृदयस्थ परमेश्वर जरूर सुनता है, फिर पुकार चाहे किसी मानव ने की हो या किसी प्राणी ने। गज …

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तू सूर्य बन !


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग प्रवचन से उत्तरायण अर्थात् सूर्य का उत्तर दिशा की और प्रयाण। जैसे मकर-सक्रान्ति से सूर्य उत्तर दिशा की तरफ प्रयाण करता है वैसे ही आपका जीवन भी उन्नति की ओर अग्रसर होता जाय….. ऋषि कहते हैं- ‘तुम सूर्य की नाईं बनो।’ कोई प्रश्न करता है कि ‘महाराज ! …

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तीव्र विवेक


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से विवेक किसको बोलते हैं ? दो चीजें मिल गयी हों, मिश्रित हो गयी हों उनको अलग करने की कला का नाम है विवेक। परमात्मा चेतन है, जगत जड़ है और दोनों के मिश्रण से सृष्टि चलती है। सृष्टि में सुख-दुःख, लाभ-हानि, अच्छा-बुरा, जीवन-मरण ये सब मिश्रित हो …

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