109 ऋषि प्रसादः जनवरी 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

तब लग दोनों एक हैं….


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग प्रवचन से गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने कहा हैः काम क्रोध अरू लोभ मोह की जब लग मन में खान। तब लग दोनों एक हैं क्या मूरख अरु विद्वान।। कोई अनपढ़, गँवार और मूर्ख हो एवं अध्यात्मविद्या से अनजान हो अथवा कोई अध्यात्म विद्या का बड़ा जानकार हो, …

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उद्देश्य ऊँचा बनायें


(उच्च कोटि के साधकों के लिए) संत श्री आशाराम जी के सत्संग प्रवचन से धन जोबन का करे गुमान वह मूरख मंद अज्ञान। धन, यौवन, पद, विद्या, चतुराई, प्रमाणपत्र का जो गुमान करता है वह मूर्ख है, अज्ञानी है। जब तक तू ब्रह्मवेत्ता की तराजू में सही नहीं उतरता तब तक जीवात्मा है और जीवात्मा …

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आसुरी, राक्षसी और मोहिनी भाव


संत श्री आशाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा हैः मोघाशा मोघकर्माणो मोघज्ञाना विचेतसः। राक्षसीमासुरीं चैव प्रकृतिं मोहिनीं श्रिताः।। ‘वे व्यर्थ आशा, व्यर्थ कर्म और व्यर्थ ज्ञानवाले विक्षिप्तचित्त अज्ञानीजन राक्षसी, आसुरी और मोहिनी प्रकृति को ही धारण किये रहते हैं।’ गीताः 9.12 आसुरी भाव, दैत्य भाव और मोहिनी भाव …

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