और हृदय परिवर्तन हो गया…
संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से चाहे कोई विश्व का चक्रवर्ती सम्राट ही क्यों न हो किन्तु इस जहाँ से तो उसे भी खाली हाथ ही जाना है। सिकंदर दारा हल्या वया सोने लंका वारा हल्या वया। कारुन खजाने जा मालिक हथे खाली विचारा हल्या वया।। ‘सारे विश्व पर राज्य करने का स्वप्न …