योगविद्या से भी ऊँची है आत्मविद्या
योगविद्या में मन का निरोध होता है, एकाग्रता से सामर्थ्य आता है – पूज्य बापू जी परंतु ब्रह्मविद्या में मन बाधित हो जाता है और तत्त्व का बोध हो जाता है । योग में चित्तवृत्ति का निरोध हो जाता है और व्यक्ति समाधिस्थ हो जाता है । समाधि से सामर्थ्य आता है परंतु जीवत्व बाकी …