200 ऋषि प्रसादः अगस्त 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सत्शास्त्रों का आदर


ग्रंथों में देखा जाय तो कागज और स्याही होती है और होते हैं वर्णमाला के अक्षर, जो तुम विद्यालय में पढ़े हो, पढ़ाते हो । लेकिन फिर भी वे अक्षर सत्संग के द्वारा दुहराये जाते हैं और उस ढंग से छप जाते हैं तब वह पुस्तक नहीं रहती, वह स्याही और कागज नहीं रहता, वह …

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स्वास्थ्य एवं पर्यावरण रक्षक प्रकृति के अनमोल उपहार


अन्न, जल और वायु हमारे जीवन के आधार हैं । सामान्य मनुष्य प्रतिदिन औसतन 1 किलो अन्न और 2 किलो जल लेता है परंतु इनके साथ वह करीब 10000 लीटर (12 से 13.5 किलो) वायु भी लेता है । इसलिए स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु शुद्ध वायु अत्यंत आवश्यक है । प्रदूषणयुक्त, ऋण-आयनों की कमीवाली एवं …

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अहंकार से रहित हो


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) हर व्यक्ति श्रीकृष्ण का रूप है लेकिन…. आत्मसाक्षात्कार सब अनुभवों के बापों का बाप  है । आत्मानुभव के आगे सारे अनुभव छोटे पड़ जाते हैं । आत्मसाक्षात्कार करने के लिए तटस्थ रहना पड़ता है । जैसे दूसरों में दोष देखते हैं ऐसी ही अपने मन के दोष देखो, मन …

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