223 ऋषि प्रसादः जुलाई 2011

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

विवेकशक्ति बढ़ाने के साधन


पूज्य बापू जी के सत्संग से दस वर्ष की उम्र से लेकर चालीस वर्ष की उम्र तक विवेकशक्ति बढ़ती रहती है। अगर इस उम्र में कोई विवेकशक्ति नहीं बढ़ाता है तो फिर चालीस वर्ष के बाद उसकी विवेकशक्ति क्षीण होती जाती है। जो दस से चालीस वर्ष की उम्र में विवेकशक्ति बढ़ाने की कोशिश करता …

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सेवा तो सेवा ही है !


पूज्य बापू जी की पावन अमृतवाणी सेवक को जो मिलता है वह बड़े-बड़े तपस्वियों को भी नहीं मिलता। हिरण्यकशिपु तपस्वी था, सोने का हिरण्यपुर मिला लेकिन सेविका शबरी को जो साकार, निराकार राम का सुख मिला वह हिरण्यकशिपु ने कहाँ देखा, रावण ने कहाँ पाया ! मुझे मेरे गुरुदेव और उनके दैवी कार्य की सेवा …

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ब्रह्मवेत्ता संत ही एकमात्र आश्रय


भगवान श्रीकृष्ण के विश्वहितकारी वचनामृत ‘श्रीमद् भागवत’ के 11वें स्कन्ध के  26वें अध्याय में एक कथा आती है। परम यशस्वी सम्राट इलानंदन पुरूरवा जब कुसंग में पड़कर उर्वशी में आसक्त हो गये तो उनका तप, तेज, प्रभाव सब जाता रहा। लेकिन जब उर्वशी उन्हें छोड़कर चली गयी तो पहले की पुण्याई के प्रभाव से पुरूरवा …

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