234 ऋषि प्रसादः जून 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सदगुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकटाने का पर्वः गुरुपूर्णिमा


पूज्य बापू जी की ज्ञानमयी अमृतवाणी किसी चक्र के केन्द्र में जाना हो तो व्यास का सहारा लेना पड़ता है। यह जीव अनादिकाल से माया के चक्र में घटीयंत्र (अरहट) की नाईं घूमता आया है। संसार के पहिये को जो कील है वहाँ नहीं पहुँचा तो उसका घूमना चालू ही रहता है और वहाँ पहुँचना …

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बारह प्रकार के गुरु


पूज्य बापू जी की अमृतवाणी ʹनामचिंतामणिʹ ग्रन्थ में गुरुओं के बारह प्रकार बताये हैं। एक होते हैं धातुवादी गुरु। ʹबच्चा! मंत्र ले लिया, अब जाओ तीर्थाटन करो। भिक्षा माँग के खाओ अथवा घर का खाओ तो ऐसा खाओ, वैसा न खाओ। लहसुन न खाना, प्याज न खाना, यह करना, वह न करना। इस बर्तन में …

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ऐसी निष्ठा कि मंत्र हुआ साकार


सन् 1501 में विजय नगर राज्य के बाड़ ग्राम(वर्तमान में कर्नाटक के हवेरी जिले का एक गाँव) में जागीरदार वीरप्पा व उनकी पत्नी बच्चम्मा के यहाँ एक बालक का जन्म हुआ। उसका नाम रखा गया कनक। इनकी जाति कुरुब (भेड़-बकरी चराने वाले) थी। बचपन में ही इनके पिता का स्वर्गवास हो गया। बड़े होने पर …

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