294 ऋषि प्रसादः जून 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ऋषियों की वाणी है ‘ऋषि प्रसाद’


कर्म किये बिना कर्ता रह नहीं सकता और कर्म में पराधीनता है। बिना पराश्रय के कर्म होता ही नहीं, पर का आश्रय लेना ही पड़ता है और किये बिना रहा नहीं जाता है। ….. तो पर का आश्रय लेने वाला कर्म अगर कर्म को परोपकार में बदल दे तो कर्ता ‘स्व’ के सुख में, स्व …

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तनाव, अशांति व भटकान मिटाकर आनंद-रस से सराबोर करतीं – साधना कुंजियाँ


विश्रांति योग की साधना वाला प्राणायाम लाभः यह प्राणायाम तन, मन और मति पर विशेष प्रभाव करेगा। यह विश्रांति-योग की साधना है। चित्त की विश्रांति सामर्थ्य को प्रकट करती है, दुःखों व रोगों को विदाई देती है। विधिः त्रिबंध के साथ एक से सवा मिनट श्वास भीतर रोकें, फिर धीरे-धीरे छोड़ें। श्वास लेते समय भावना …

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सेवा का सिद्धान्त


(संत टेऊँराम जी जयंतीः 29 जून 2017) संत महापुरुष आत्मसाक्षात्कार जैसी पराकाष्ठा पर पहुँचने के बाद भी सर्वमांगल्य के भाव से समाज की सेवा में स्वयं भी रत रहते हैं और अपने सम्पर्क में आने वालों को भी लगाते हैं। जीवन्मुक्त महापुरुषों के लिए सेवा-सत्कर्म करने का कोई कर्तव्य या बंधन नहीं होता फिर भी …

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