इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है !
भगवान ने अपना दैवी कार्य करने के लिए हम लोगों के तन को, मन को पसंद किया यह कितना सौभाग्य है ! और ईश्वर की यह सेवा ईश्वर ने हमें सौंपीं यह कितना बड़ा भाग्य है ! समाज और ईश्वर के बीच सेतु बनने का अवसर दिया प्रभु ने, यह उसकी कितनी कृपा है ! …