326 ऋषि प्रसाद – फरवरी 2020

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

खखं खखइया खा खा खइया….पूज्य बापू जी


एक चांडाल चौकड़ीवालों का गाँव था । काशी से पढ़ के कोई भी वहाँ से पसार होवे तो वे बोलें- “महाराज ! शास्त्रार्थ करो हमारे गाँव के पंडित से । अगर तुम जीतोगे तो तुमको जाने देंगे फूलहार से स्वागत करके और हार जाओगे तो तुम्हारी किताबें छीन लेंगे और केवल धोती और एक लोटा …

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इसका नाम है आत्मसाक्षात्कार !


जिज्ञासु साधकों को अपने परम लक्ष्य ‘आत्मसाक्षात्कार’ सुस्पष्ट तात्पर्य-अर्थ जानने की बड़ी जिज्ञासा रहती है, जिसकी पूर्ति कर रहे हैं करुणासिंधु ब्रह्मवेत्ता पूज्य बापू जीः अपने-आपका बोध हो जाय, अपने-आपका पता चल जाय इसे बोलते हैं आत्मसाक्षात्कार । यह साक्षात्कार किसी अन्य का नहीं वरन् अपना ही साक्षात्कार है । आत्मसाक्षात्कार का तात्पर्य क्या है …

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अरे पकड़ो-पकड़ो ! चोर जा रहा है….


एक बार महमूदपुर गाँव (हरियाणा) में एक मंडली का कथा-कीर्तन हो रहा था । स्वामी नितानंद के कानों में भी भक्तिरस से सिक्त वह मधुर ध्वनि पड़ी तो वे भी वहाँ पहुँच गये । मंडली के प्रधान ने उन्हें सितार लेकर कुछ गाने को कहा । प्रतिदिन नितानंद जी के अलबेले व्यवहार को देखने वाले …

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