330 ऋषि प्रसादः जून 2020

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

श्रीमद् आद्य शंकराचार्य जी द्वारा विरचित गुर्वष्टकम् का हिन्दी पद्य भावानुवाद


गुरुपद विमुख हो तो सब नाशकारी स्वयं हो मनोहर, सुरूपिणी नारी, अमित द्रव्य सब ओर हो कीर्ति भारी । लगा ना यदि चित्त गुरु के चरण में, तो निःसार ही है ये उपलब्धि सारी ।।1।। सहित वित्त पुत्रादि पौत्र व नारी, स्वजन संग रहने को ऊँची अटारी । हो प्रारब्ध से सब सुलभ इस जगत …

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भक्तों के तारणहार केवल सद्गुरुनाथ-संत ज्ञानेश्वरजी


गुरु संतकुल के राजा हैं । गुरु मेरे प्राणों के विश्राम-स्थान हैं । इस त्रिलोकी में दृष्टि डालने पर सद्गुरु के सिवाय दूसरा कोई ईश्वर देखने में नहीं आता । गुरु सुख के सागर हैं, प्रेम के भण्डार हैं । गुरु धैर्य के पहाड़ हैं, जो किसी भी अवस्था में डगमगाता नहीं है । गुरु …

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