आदर्श नर-नारी का परस्पर कैसा हो दृष्टिकोण ?
आदर्श नर-नारी का परस्पर कैसा हो दृष्टिकोण ? प्रश्नः यदि नारी को नर भोग्या समझता है तो इसमें क्या दोष है ? स्वामी अखंडानंद जीः अनेक दोष हैं- एकमात्र परमात्मा ही सत्य है – इस तात्त्विक सिद्धांत से च्युत हो जाना । अपने को देहाभिमानी भोक्ता मान बैठना । नारी को पंचभौतिक पुतला मानकर उसके …