हर हृदय में ईश्वर हैं फिर भी दीनता-दरिद्रता क्यों ?
सारे शास्त्रों की घोषणा है कि ईश्वर सर्वव्यापक है, सर्वत्र विद्यमान है । यह सत्य है पर इससे व्यक्ति के अंतःकरण की समस्याओं का समाधान नहीं होता है । संत तुलसीदास जी कहते हैं- अस प्रभु हृदयँ अछल अविकारी । सकल जीव जग दीन दुखारी ।। ( श्री रामचरित. बा. कां. 22.4 ) ऐसा ईश्वर …