Satsang

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सब कामों को छोड़ दो


भगवद्गीता के दूसरे अध्याय का श्लोक है विहाय कामान् यः सर्वान् पुमांश्चरति निःस्प्रहः। निर्ममो निरहंकारः स शान्तिमधिगच्छति।। जो पुरुष संपूर्ण कामनाओं को त्यागकर ममता रहित , अहंकार रहित और स्पृहा रहित होकर विचरता है वही शांति को प्राप्त होता है। अष्टावक्र जनक को कहते है, श्रीकृष्ण अर्जुन को कह रहे है।अष्टावक्र कहते है – ममता …

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अपनी पकड़ ही दुःख देती है


https://hariomaudio.standard.us-east-1.oortstorage.com/hariomaudio_satsang/Title/2019/Dec/Apni-Pakad-Hi-Dukh-Deti-Hai.mp3 जैसे एक आदमी स्वप्न देखता है तो उसके स्वप्ने में दूसरा आदमी प्रविष्ट नही होता है।उसके स्वप्ने में दूसरा आदमी तब प्रविष्ट होता है जब दोनों के सुने हुए संस्कार एक जैसे हो। ठीक,मूर्ख आदमियों के साथ हम लोग जीते है, संसार के दल-दल में फँसे हुए पैसों के गुलाम,इन्द्रियों के गुलाम…लोगों के बीच …

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गुरु में स्थिति करो


https://hariomaudio.standard.us-east-1.oortstorage.com/hariomaudio_satsang/Title/2019/Dec/Guru-Me-Sthiti-Karo.mp3 चरणदास गुरुकृपा केणी उलट गई मेरी नैन पुतरिया… गुरु की कृपा हुई मेरे नैन, देखने की दृष्टि बदल गई! तन सुकाय पिंजर किये…तुलसीदास ने कहा…धरे रैन दिन ध्यान। तुलसी मिटे न वासना बिना विचारे ज्ञान ॥तो ज्ञानी गुरु में स्थिती किए बिना , ज्ञानतत्व का विचार किए बिना चाहे सौ साल की समाधि लगा दो…समाधि …

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