सब कामों को छोड़ दो
भगवद्गीता के दूसरे अध्याय का श्लोक है विहाय कामान् यः सर्वान् पुमांश्चरति निःस्प्रहः। निर्ममो निरहंकारः स शान्तिमधिगच्छति।। जो पुरुष संपूर्ण कामनाओं को त्यागकर ममता रहित , अहंकार रहित और स्पृहा रहित होकर विचरता है वही शांति को प्राप्त होता है। अष्टावक्र जनक को कहते है, श्रीकृष्ण अर्जुन को कह रहे है।अष्टावक्र कहते है – ममता …