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इस संस्कृति की सुरक्षा विश्वमानव की सेवा है


महापुरुषों के चरणों में असंख्य लोग जाते हैं। उनको सुख-शांति मिलती है, ज्ञान मिलता है, प्रेरणा मिलती है, आरोग्यता मिलती है…. न जाने कितना कुछ मिलता है रुषों के चरणों में असंख्य लोग जाते हैं। उनको सुख-शांति मिलती है, ज्ञान मिलता है, प्रेरणा मिलती है, आरोग्यता मिलती है…. न जाने कितना कुछ मिलता है। बदले में लोग कुछ दें तो महापुरुष फिर वे चीजें भी समाज की उन्नति के लिए लगा देते हैं। ऐसे संतों के लिए भी कुछ का कुछ कुप्रचार करने वाले और षडयंत्र रचने वाले लोग अनादिकाल से चले आ रहे हैं।

गुरुनानक देव जी ने क्या लिया? रूखी सूखी रोटी ली, कभी कणा प्रसाद खाया होगा। यात्रा के लिए कभी पैदल तो कभी रथ में बैठे होंगे। इतनी सारी मुसीबतें सही जिन महापुरुष ने, उनको भी नालायक लोगों ने बाबर की जेल में धकेल दिया, दुनिया जानती है। ऐसे ही सुकरात को दुष्ट लोगों ने ऐसे चक्कर में ला दिया कि उनको सरकारी तौर से मृत्युदण्ड घोषित हो गया। हम मंसूर को खूब-खूब स्नेह करते हैं, प्रणाम भी करते हैं ऐसे महापुरुष को ! मजहबवादियों ने राजा को उकसाया और आखिर मंसूर के सिर पर फटकार दी गयी शूली की सजा। क्या नानकजी को कमी थी कि इधर से उधर दौड़ धूप करते थे ? नहीं। भवसागर से पार कराने वाली नाव में आप जैसों को बैठाने के लिए वे महापुरुष तकलीफें सहते थे।

श्री रामकृष्ण परमहंस कहो, स्वामी विवेकानंद कहो, स्वामी रामतीर्थ कहो, भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी कहो, ये जो भी विमल विवेक के पाये हुए महापुरुष हैं, वे कुछ न कुछ खूँटा लगा के रखते हैं ताकि वे लोगों के बीच उठने बैठने के काबिल रहें। नहीं तो बैठे, बंद हो गयी आँखें, समाधि हो गयी।

ब्राह्मी स्थिति प्राप्त कर, कार्य रहे न शेष।

मोह कभी न ठग सके, इच्छा नहीं लवलेश।।

फिर भी इच्छा रखते हैं कि ‘अच्छा भाई ! शांत रहो, शोर मत करो, ऐसे करो…..’ यह क्यों करते कराते हैं ? उनको क्या लेना देना है ! लेकिन व्यवहार में आपके जैसा ही व्यवहार करेंगे। यह एक खूँटी लगा दी।

ऐसे महापुरुष जब हयात होते हैं, तब उनके साथ बड़ा अन्याय होता है। फिर भी वे महापुरुष सब सह लेते हैं। पाँच पचीस मूर्खों के कारण करोड़ों लोगों से यह नाव छीन लूँ क्या मैं ? नहीं, नहीं। कितना सहा होगा उन महापुरुषों ने ! फिर भी तुम्हारे बीच टिके रहे, डटे रहे। तुम क्या दे सकते हो उनको ? तुम्हारे पास देने को है भी क्या ? आत्मधन से तो तुम कंगले हो और नश्वर धन को तो वे लात मारकर महापुरुष हुए हैं।

कबीर जी ने क्या बिगाड़ा था ? काशीनरेश मत्था टेकते हैं और बाद में वे ही काशी नरेश कबीर जी को मुजरिम बनाकर अपने न्यायालय में खड़ा कर देते हैं। हालाँकि उन महापुरुषों का कोई दुश्मन नहीं होता लेकिन अभी भी देखते हैं कि समाज का कहीं शोषण होता है या लोग देश को खंड खंड करने का षडयंत्र कर रहे हैं तो हम लोगों को भी सच्चाई बोलनी पड़ती है और फिर उनकी नजर में हम लोग दुश्मन जैसे लगते हैं। वे लोग भी हमारा कुप्रचार खूब करते हैं। जिनके धंधे खराब होंगे या जिनकी दुष्ट मुरादें नाकामयाब होंगी, वे दुष्ट लोग कुछ-न-कुछ तो हमारे लिए भी बकेंगे, करेंगे। सीधी बात है ! वह सब सहन करके भी तुमको जगाने के पीछे लगे हैं, उनका दिल कितना तुम्हारे लिए उदार है !

कबीर जी की निंदा होने लगी, अफवाहें होने लगीं। क्या के क्या आरोप लगने लगे ! आखिर कुछ लोग बिखर गये। कुछ लोग श्रद्धालु थे, बोलेः “संतों के खिलाफ तो ये नालायक लोग षडयंत्र करते रहते हैं।” भगवान राम के गुरु थे वसिष्ठजी महाराज, उन पर भी लोग आरोप करते थे। हमारे लिए भी कुछ लोग बोलते हैं- ‘बापू ने फलाने को यह कर दिया…..।’ ऐसा-ऐसा बकते हैं, ऐसे-ऐसे पर्चे छपवाते हैं, बाँटते हैं ! नारायण (पूज्य बापू जी के सुपुत्र) के लिए कुछ-का-कुछ छपवाते हैं, बाँटते हैं। कैसे-कैसे षडयन्त्र ! कैसी-कैसी अफवाहें ! क्या-क्या बातें बनाते हैं ! यह अभी से नहीं, पिछले 30 सालों से चल रहा है।

ऐसे लोग मेरे गुरु जी के पास जातेः “बापू ने हमारे को यह कर दिया, वह कर दिया…..।” गुरु जी बोलेः “खबरदार ! इसकी शादी हुई, सुंदर पत्नी और परिवार को छोड़ के मेरे पास रहा है। इस लड़के को मैं जानता हूँ।”

मोटेरा आश्रम जो साबरमती तट पर बना है, उसके चारों तरफ खाइयाँ थीं। आधा-एक-बीघा समतल जमीन थी बस, बाकी अपन लोगों ने भरकर समतल की। चारों तरफ दारू की 40-40 भट्ठियाँ चलती थीं। पुलिस आ जाय तो पुलिस की पिटाई करके उनको वापस भेज देते। ऐसी जगह पर जब आश्रम बनाया होगा तो कितने विघ्न आये होंगे, जरा सोचो ! अभी तीर्थधाम बन गया है। दारू की 40 भट्ठियाँ बन्द हुईं तो उनके मालिक और भट्टी चलाने वाले हो जो लोग होंगे, उनको कैसा लगा होगा ? लेकिन अब वे सन्मार्ग में लगे और उनकी आजीविका अच्छी चल गयी तो अभी वे खुश हैं। यहाँ मत्था टेकते हैं बेचारे। लेकिन पहले तो उन्होंने भी खूब सुनायी। उस समय अफवाह और कुप्रचार करने वालों की एक चैनल बनी थी (गुट बना था)। कुछ अखबार तो पैसे लेकर ऐसा-ऐसा लिखते कि महाराज ! आप पढ़ो तो आपको लगे कि ये बाबा नहीं हैं…..।

हम कोई ऐसे ही बापू जी होकर पूजे जा रहे हैं क्या ? तुम्हारी उन्नति के लिए हम सब कुछ सह रहे हैं और इससे 10 गुना सहने की हमारी तैयारी है। हम किसी का बुरा नहीं सोचते हैं, न करते हैं लेकिन हमारी बुराई के लिए कोई करता है तो हम यही कहते हैं-

जिसने दिया दर्दे दिल उसका प्रभु भला करे।….

हम सचमुच में भाग्यशाली है ! ऐसे ब्रह्मज्ञानी संत भारत में ही मिल पाते हैं। भगवान के अवतार भारत में होते हैं और यहीं का प्रसाद देश-विदेश में प्रसारित होता है। कुंडलिनी शक्ति जागृत करने का सामर्थ्य भी भारत के संतों ने विदेश में फैलाया और विदेश के लोग वह सीखकर अपना व्यापार-भाव से प्रचार कर रहे हैं। सारा विश्व मंगलमय हो ! हमारा किसी जाति, सम्प्रदाय, पंथ से कोई विरोध नहीं है परंतु जिस संस्कृति में हम जन्में हैं उसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। अतः हम उदार बन जायें, ठीक है लेकिन हम मूर्ख न बनें कि हमारी संस्कृति की जड़ें कटती जायें, हम आपस में ही लड़ते रहें।

हिन्दू ही हिन्दू संतों की अवहेलना कर लेते हैं, मुकद्दमेबाजी करवाते हैं। दूसरे मजहबवाले तो अपने फकीरों के लिए ऐसा नहीं सोचते, करते। ‘अपने ही लोगों के पैर काटो।’ कितने शर्म की बात है ! कितनी नासमझी की बात है ! परमात्मा का साक्षात्कार इसी जन्म में कर सकते हैं, इतनी ऊँचाइयाँ हमारी वैदिक संस्कृति में, हमारे महापुरुषों के पास अभी भी हैं और ऐसे वे महापुरुष धरती पर अभी भी मिल रहे हैं कि जो पराकाष्ठा तक पहुँचाने में सक्षम हैं। अतः इस संस्कृति की सुरक्षा करना, इस संस्कृति में आपस में संगठित रहना, यह मानव-जाति की, विश्वमानव की सेवा है।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2014, पृष्ठ संख्या 4,5 अंक 264

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आपका सेवारूपी फूल खिला है – पूज्य बापू जी


विदेशी ताकतें हिन्दू धर्म की महानता को समाप्त करने के लिए, हिन्दू साधुओं का कुप्रचार करने के लिए चैनलों में न जाने कितनों-कितनों का क्या-क्या दिखाती हैं ! आजकल तो हिन्दू धर्म, हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने के लिए कैसे-कैसे अनर्गल आरोप लगाते हैं। हिन्दू साधु-संतों के पीछे आजकल कुप्रचार करने वाले हाथ धो के पड़ गये हैं।

इतना-इतना अंग्रेजों ने जुल्म किया, लेकिन हिन्दू धर्म की महानता से हमने उनके जुल्म को उखाड़ के फेंक दिया। इसीलिए अब तो बोलते हैं कि ‘हिन्दू धर्म की जड़ें काटो। ये वैदिक बातें ऐसी ही हैं…. हनुमान जी बंदर हैं, गणपति जी हाथी हैं, बच्चों की श्रद्धा बहुत तोड़ते हैं। श्रद्धा के बिना धर्म लाभ नहीं होता।

परन्तु इससे घबराना नहीं है। अक्सर ऐसे आँधी तुफान आते रहते हैं। अपने को बुद्धिमान होकर, संगठित हो के अपनी संस्कृति का फायदा उठाना चाहिए। हमको विदेशी शक्तियाँ लड़वाना चाहती हैं और यदि हम वही करें तो फिर हमारी संस्कृति की हानि होगी। मुझे तो एक दृष्टांत-कथा याद आती है कि कुल्हाड़ी का सिर आया पेड़ के पास, बोलाः “मैं तुझे काट दूँगा।”

पेड़ हँसा, बोलाः “मैं 200 मन का, तू 400 ग्राम का, निगुरे ! चल भाग यहाँ से।”

थोड़ी देर के बाद वह लकड़ी का हत्था डलवा के आया, बोलाः “क्या ख्याल है अब ?”

पेड़ ने सिर झुका दिया, बोलाः “जब अपने वाले ही काटने वाले के साथ जुड़ते हैं तो क्या होगा ?”

ऐसे ही जो विदेशी ताकतें हमारे देश को तोड़ना चाहती हैं उन्हीं के हम हत्था बन के कुछ पैसे लेकर किसी संस्था के पीछे पड़ जायें तो हमारी संस्कृति का क्या होगा ? मैं तो हाथ जोड़ के प्रार्थना कर सकता हूँ। नहीं तो फिर मैं उसको प्रार्थना करूँगा कि ‘भगवान ! इनको सदबुद्धि दो।’ फिर प्रकृति कोप करे यहा तो सदबुद्धि दे, यह उसकी मर्जी की बात है। जो भिड़ाने वाली ताकतें पर्दे के पीछे भिड़ाती हैं, वे भिड़ायें और हम भिड़ते रहें तो हमारी संस्कृति की हानि होती है।

कवि गेटे के लिए ऐसे आँधी-तूफान आये कि उनके अनुयायियों ने कहा कि “अब हद हो गयी ! आप निंदा करने वालों को, अफवाहें फैलाने और साजिश करने वालों को कुछ दंड दो अथवा हमें आदेश दो, हमारे से सहा नहीं जाता !”

कवि गेटे ने मुस्कराते हुए कहाः “देखो, मैं तुम्हें सुनाता हूँ ‘टॉलस्टॉय’ कविता।” कवि गेटे कविता सुनाते गये और गदगद होते गये। कविता का  भाव यह था कि ‘जब तुम्हारे लिए कोई साजिश रचे, तुम्हारे ऊपर मिथ्या दोषारोपण होने लगें, तुम्हारे दैवी कार्य में विघ्न-बाधाएँ आने लगें तो समझ लेना कि तुम्हारी सेवा का बगीचा खूब महका है और उसकी सुवास और मधुरता दूर तक गयी है इसलिए वे मधुमक्खियाँ और भौंरे डंक मारने को आ रहे हैं। अरे ! तुम्हारी सेवा का ही प्रभाव है जो मधुमक्खियाँ और भौंरे भिनभिना रहे हैं।’

हिन्दू धर्म को बदनाम करने वाले, साजिश करने वाले विदेशी लोग जो अपना धर्मांतरण का काम चलाना चाहते हैं, वे पिछले 1700 वर्षों से हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने का षडयंत्र चला रहे हैं और वे लड़ाने के लिए हिन्दुओं को ही आगे करते हैं, वे लोग पर्दे के पीछे रहते हैं, जिससे हिन्दू ही हिन्दू धर्म कि निन्दा करें और हिन्दू-हिन्दू आपस में लड़ मरे। वे सोचते हैं, ‘हिन्दुओं का नाम, प्रभाव रहेगा तो हिन्दू धर्म में तो महान गुण हैं, हमारे पास कौन आयेगा ? इसलिए चलो, हिन्दू धर्म को बदनाम करो और अपना धंधा चलाओ।’ ऐसा मुझे कई ढंग से  पता चल रहा है। शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी, स्वामी नित्यानंद जी और माँ अमृतानंदमयी जैसे कई संतों को बदनाम करवाया गया। जो प्रसिद्ध हैं उनको ज्यादा बदनाम करवाते हैं और जो कम प्रसिद्ध हैं वे बेचारे थककर आश्रम, मंदिर छोड़ के चले जाते हैं, दूसरे लोगों को दे जाते हैं।

मेरे 50 सालों में ऐसा कुप्रचार 2-4 बार आया और जब-जब कुप्रचार आया उसके बाद साधकों की संख्या बढ़ती गयी। लेकिन अब का कुप्रचार बहुत लम्बी साजिश है, खूब पैसे खर्च करके हुआ है और बहुत लोगों को इसमें जोड़ा गया है। अब के कुप्रचार का जो शिकार न बने और टिक गया तो भाई ! वह तो फिर पृथ्वी का देव है।

और हम जानते हैं कि जितना-जितना आदमी ऊँचाई को उठता है, उतना-उतना सज्जन लोग तो फायदा लेते हैं लेकिन  जिनको ईर्ष्या की आग तपाती रहती है वे फिर कुछ-न-कुछ कल्पना करके आरोप की गंदगी फैलाते रहते हैं। आपके ऊपर भी कभी कोई ईर्ष्या-द्वेष करके आरोप करे तो आप इस बात को याद करो कि आपका फूल खिला है, तभी भौंरे अथवा मधुमक्खी का डंक आया है। आपका फूल विकसित हो रहा है।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2014, पृष्ठ संख्या 4,5 अंक 260

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विश्वसेवा जो कर रहे हैं बापू जी, निंदक कभी कर सकेंगे क्या ?


वर्तमान में विश्व के सामने अनेक समस्याएँ विकराल रूप धारण किये हुए खड़ी हैं। इन समस्याओं का समाधान एवं विश्वमानव के जीवन का सर्वांगीण विकास भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म से ही सम्भव है। यह भलीभाँति जानने वाले महापुरुष हैं बापू जी।

भौतिक वस्तुओं एवं भौतिक जीवन का आध्यात्मिकीकरण करने का संदेश देकर निष्काम सेवायोग के माध्यम से उसको साकार करने वाले पूज्य बापू जी ने इन वैश्विक समस्याओं को हल करने का भगीरथ सफल प्रयास किया है। यह आज विश्वव्यापी अभियान का रूप ले चुका है। यहाँ तक कि उनके शिष्यगण महाराजश्री का अवतरण दिवस ‘विश्व सेवा सत्संग दिवस’ के रूप में पिछले अनेक वर्षों से मनाते आये हैं। और इसी दिन से इन सेवा-अभियानों का नवीनीकरण भी होता है। आइये, जानें उन समस्याओं और उनके हलस्वरूप कुछ अभियानों को।

समस्या 1– कलियुग में कुसंग के प्रभाव से मनुष्य अपना मुख्य उद्देश्य ईश्वरप्राप्ति भूलकर अशांति, कलह, तनाव, चिंता, बीमारियों तथा संसार की आपाधापी में ही सारा जीवन खपा रहा है।

समाधानः सत्संग द्वारा विश्वमानव की उन्नति।

शास्त्रों के मर्मज्ञ पूज्य बापू जी स्वयं कष्ट सहकर एक दिन में 3-3, 4-4 स्थानों में भी लोगों को सत्संग-अमृत का पान कराते रहे हैं। बापू जी अपने सत्संगों में शांति प्रेमयुक्त व तनावमुक्त जीवन जीने की सरल युक्तियाँ, लौकिक व पारलौकिक सफलताएँ पाने की कुंजियाँ और स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक व घरेलु उपाय बताते हैं। साथ ही मानव-जीवन के परम उद्देश्य ‘ईश्वरप्राप्ति’ का मार्ग अति सरल बनाकर लोगों को उस मार्ग पर चलाते भी हैं। करोड़ों लोगों का अनुभव है कि बापू जी के सत्संग से उनका जीवन उन्नत हुआ है।

समस्या 2- कुसंस्कार, व्यसन, अभद्रता आदि को बढ़ावा देने वाले क्लब, बीयर बार, डांस बार, सिनेमा थिएटर आदि मानव समाज को नैतिक पतन की खाई में धकेल रहे हैं।

समाधानः संत श्री आशाराम जी आश्रम।

विश्वशांति के प्रसारक, आध्यात्मिक स्पंदनों से ओतप्रोत 425 से भी अधिक आश्रम देश-विदेश में फैले हुए हैं। यहाँ सभी जाति-सम्प्रदाय के लोग आकर भक्तियोग, ज्ञानयोग, निष्काम कर्मयोग और कुंडलिनी योग के द्वारा हृदय में परमेश्वरीय शांति का प्रसाद पाकर आध्यात्मिक जगत के साथ-साथ लौकिक जगत में भी अदभुत उन्नति करते हैं।

समस्या 3- ईसाई मिशनरियों आदि द्वारा लोगों को धर्मांतरित कर देश को गुलाम बनाने का गहरा षड्यंत्र चलाया जा रहा है।

समस्या 4- ‘आदिवासी सबसे कमजोर वर्ग है। लगभग 50 प्रतिशत आदिवासी गरीबी रेखा के नीचे हैं।’ – इंडियन ह्यूमन डेवलपमेंट सर्वे

समाधानः धर्मांतरण पर प्रभावी ढंग से रोक तथा आदिवासी एवं पिछड़े लोगों का विकास धर्मांतरित हुए असंख्य हिन्दुओं, आदिवासियों आदि को संस्कृति-रक्षक बापू जी ने पुनः अपने धर्म में लौटाया है। जिन लोगों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरित किया गया था, उन्हें बापू जी ने सनातन धर्म की महिमा स अवगत कराया और उनकी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा किया है।

ऐसे गरीब इलाकों में जहाँ लोगों को सरकार की कोई विशेष मदद नहीं पहुँच  पाती, वहाँ बापू जी स्वयं जाकर अपने हाथों से उन गरीबों को अनाज, कपड़े, बर्तन, जूते, छाता, कम्बल, माचिस तथा विद्यार्थियों को नोटबुकें, पेन व विद्यालय का गणवेश आदि आवश्यक सामग्रियों के साथ ही नकद दक्षिणा बाँटते रहे हैं और गृहस्थ में सुख-शांति की युक्तियों के साथ सत्संग का दान भी देते हैं। पूज्य श्री के मार्गदर्शन में चल रहे 425 से अधिक आश्रमों, 1400 से अधिक सेवा-समितियों एवं करोड़ों साधकों द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में ये सेवाकार्य नियमित रूप से चलते रहते हैं। बापू जी ने गरीबों, आपदाग्रस्तों आदि को मकान बनवाकर दिये हैं। ‘भजन करो, भोजन करो और रोजी पाओ’ जैसे अभियानों से देशभर में बेरोजगार, असहाय वृद्ध, विकलांग आदि लाभान्वित हो रहे हैं। गरीबों, अनाश्रितों, विधवाओं, जरूरतमंदों के लिए आश्रम द्वारा हजारों राशनकार्ड वितरित किये गये हैं, जिनके माध्यम से कार्ड-धारकों को हर माह अनाज व जीवनोपयोगी वस्तुओं का निःशुल्क वितरण किया जाता है। इससे अनेक गरीब-आदिवासियों के व्यसन छूट गये, साथ ही उनका लौकिक व आध्यात्मिक विकास भी हुआ है।

“परम पूज्य बापू जी एवं उनके आश्रम द्वारा गरीबों और पिछड़े लोगों को ऊपर उठाने के कार्य चलाये जा रहे हैं, मुझे प्रसन्नता है। मानव-कल्याण के लिए, विशेषतः प्रेम व भाईचारे के संदेश के माध्यम से किये जा रहे विभिन्न आध्यात्मिक एवं मानवीय प्रयास समाज की उन्नति के लिए सराहनीय हैं।’ – डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, तत्कालीन राष्ट्रपति।

समस्या 5– मनोरंजन के नाम पर टी.वी., सिनेमा, विडियो गेम, इंटरनैट आदि के पीछे प्रति सप्ताह बच्चे  लगभग 55 घंटे बिताते हैं। औसतन एक बच्चा 18 साल का होने तक टीवी पर 200000 हिंसक दृश्यों, 72000 से अधिक अश्लील दृश्यों को देख लेता है। सिनेमा, टीवी के कुप्रभाव से चोरी, दारू, धूम्रपान, हिंसा, बलात्कार, निर्लज्जता जैसे कुसंस्कारों का बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।

समाधानः विद्यार्थी उत्थान के विविध सेवाकार्य।

भावी पीढ़ी के विनाश की ओर बढ़ते कदमों को थामने के लिए बापू जी की प्रेरणा से देश-विदेश में चलाये जा रहे 17000 से अधिक ‘बाल संस्कार केन्द्रों’, ‘छात्र बाल संस्कार केन्द्रों’ एवं ‘कन्या बाल संस्कार केन्द्रों’ द्वारा बच्चों में जप, प्राणायाम, योगासन, यौगिक प्रयोगों व प्रेरणादायी प्रसंगों के द्वारा नैतिक-आध्यात्मिक उन्नति करने वाले जीवन मूल्यों व दिव्य संस्कारों का सिंचन हो रहा है। साथ ही विद्यालयों में ‘योग व उच्च संस्कार शिक्षा कार्यक्रम’ तथा आश्रमों में छुट्टियों में ‘विद्यार्थी उज्जवल भविष्य निर्माण शिविरों’ का आयोजन होता है। ‘विद्यार्थी तेजस्वी तालीम शिविरों’ में पूज्य बापू जी स्वयं विशेष मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

समस्या 6- अमेरिका में 7 प्रतिशत बच्चे 13 वर्ष की उम्र के पहले ही यौन-संबंध बना लेते हैं। 85 प्रतिशत लड़के और 77 प्रतिशत लड़कियाँ 19 वर्ष के पहले ही यौन संबंध बना लेते हैं। इससे जो समस्याएँ पैदा हुईं, उनको मिटाने के लिए वहाँ की सरकारों को करोड़ों डॉलर खर्च करने पर भी सफलता नहीं मिल रही है।

समाधानः युवाधन सुरक्षा अभियान।

इस अभियान के अंतगर्त पूज्य बापू जी द्वारा संयम व ब्रह्मचर्य की महिमा उजागर करने वाले ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश’ ग्रंथ का 2 करोड़ से भी अधिक वितरण करवाया जा चुका है। इस ग्रंथ में युवाओं को संयमी व संस्कारी जीवन जीने की प्रेरणा के साथ-साथ तन-मन को स्वस्थ रखने की सरल युक्तियाँ सीखने को मिलती हैं। प्रतिवर्ष हजारों विद्यालयों व महाविद्यालयों में ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश ज्ञान प्रतियोगिता’ का आयोजन होता है, जिसमें देश के लाखों विद्यार्थी भाग लेकर अपना सर्वांगीण विकास करते हैं।

‘युवा सेवा संघ’ और ‘महिला उत्थान मंडल’ द्वारा युवकों एवं युवतियों के उत्थान के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। ‘युवाधन सुरक्षा अभियान’ से युवाओं में नवचेतना आयी है।

समस्या 7– ‘वेलेंटाइन डे’ का दुष्प्रभाव।

‘इन्नोसेंटी रिपोर्ट कार्ड’ के अनुसार 28 विकसित देशों में हर साल 13 से 19 वर्ष की 1250000 कन्याएँ गर्भवती हो जाती हैं, जिसमें से 500000 कन्याएँ गर्भपात करा लेती हैं और शेष कुँवारी माता बनकर  नर्सिंग होम, सरकार व माँ बाप के लिए बोझा बन जाती हैं अथवा वेश्यावृत्ति धारण कर लेती है।

समाधानः मातृ-पितृ पूजन दिवस।

वेलेंटाइन डे की गंदगी हमारे देश में पैर न जमाये इसलिए लोकहितैषी बापू जी ने 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाने का आह्वान किया। पिछले 8 वर्षों से मनाये जा रहे इस पर्व से विश्व के 167 देश लाभान्वित हो रहे हैं। इससे करोड़ों युवा पतन से बचे हैं एवं उनके जीवन में संयम, सदाचार के पुष्प खिले हैं।

समस्या 8- 2008 के एक सर्वेक्षण के अनुसार 15 वर्ष से कम उम्र के 50 लाख बच्चे गुटखे के आदी थे। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में 16 प्रतिशत बच्चों में मुँह के कैंसर के लक्षण पाये गये। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार 53.5 प्रतिशत भारतीय, तम्बाकू उत्पादों का प्रयोग करते हैं। (देखें लिंक https://en.wikipedia.org/wiki/Gutka )

समाधानः व्यसनमुक्ति अभियान

किसी भी व्यक्ति को व्यसनमुक्त करने के लिए पूज्य बापू जी का सत्संग रामबाण इलाज है। व्यसनमुक्ति अभियान (यात्राएँ, लघुफिल्म, प्रदर्शनी आदि) व बापू जी के सत्संग द्वारा करोड़ों व्यसनी लोग व्यसनमुक्त हुए हैं और आज स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन जी रहे हैं।

“बापू जी के सत्संग एवं उनकी प्रेरणा से चल रहे ‘व्यसनमुक्ति अभियान’ करोडों लोगों के शराब, सिगरेट, गुटखा आदि व्यसन छूटते हैं।” – श्री पी. दैवमुत्थु, सम्पादक ‘हिन्दू वॉइस’ मासिक पत्रिका।

समस्या 9– भारत में 50 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं। साथ ही शहरों में भी स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं।

समाधानः देश का स्वास्थ्य विकास।

आश्रम द्वारा संचालित चल-चिकित्सालयों द्वारा आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य-सेवाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं। साथ ही अभावग्रस्त क्षेत्रों में निःशुल्क चिकित्सा शिविरों’ का आयोजन भी होता है। विभिन्न आश्रमों में आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक, एक्यूप्रैशर एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों से निष्णात वैद्यों द्वारा उपचार किया जाता है। पूज्य बापू जी अपने सत्संगों में स्वस्थ रहने के सरल उपाय, योगासन, किस ऋतु में क्या खाना – क्या नहीं खाना आदि बताते रहते हैं, जिससे हम बिना खर्च के बीमारियों को मार भगायें और भविष्य में बीमार ही न हों। साथ ही मासिक पत्रिका ‘ऋषि प्रसाद’ व मासिक समाचार पत्र ‘लोक कल्याण सेतु’ के माध्यम से हर महीने लाखों करोड़ों लोगों को घर बैठे स्वास्थ्य का संदेश पहुँच जाता है। पूज्य श्री का उद्देश्य है –

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।

‘सभी सुखी हों, सभी निरोग रहें।’

समस्या 10– भारत में वैध रूप से लगभग 3600 व अवैध रूप से लगभग 30000 से अधिक कत्लखाने चल रहे हैं, जिससे धीरे-धीरे गौधन समाप्त होता जा रहा है।

( देखें लिंकः https:/en.wikipedia.org/wiki/Cattle_slaughter_in_India )

समाधानः गौ-संरक्षण

संत श्री आशाराम जी गौशालाओं में कत्लखाने ले जाने से रोकी गयीं हजारों गायों की सेवा की जा रही है। इनमें से कई गायें तो दूध भी नहीं देती फिर भी उन गायों का प्रेम से पालन किया जाता है। इनके झरण, गोबर आदि से धूपबत्ती, खाद, फिनायल, औषधियों आदि वस्तुओं के निर्माण द्वारा गायों की महत्ता के प्रति समाज को जागरूक किया जाता है ताकि व्यापक रूप से गौ सुरक्षा हो सके।

समस्या 11– रॉक म्यज़िक बजाने वाले और सुनने वाले की जीवनशक्ति क्षीण होती है। डॉ. डायमंड ने प्रयोगों से सिद्ध किया कि ‘हाथ का डेल्टोईड स्नायु सामान्यतया 40 से 45 कि.ग्रा. वजन उठा सकता है। जब रॉक म्यूज़िक बजता है तब उसकी क्षमता केवल 10 से 15 कि.ग्रा. वजन उठाने की रह जाती है।’ इसका प्रचलन बढ़ रहा है।

समाधानः भगवन्नाम संकीर्तन अभियान।

समाज में वैचारिक प्रदूषण मिटाने तथा सांस्कृतिक चेतना जगाने के उद्देश्य से आश्रमों व साधकों द्वारा समय-समय पर देश-विदेश के विभिन्न स्थानों पर भगवन्नाम संकीर्तन यात्राएँ एवं प्रभातफेरियाँ निकाली जाती हैं। इससे तन-मन व वातावरण पवित्र होता है और जीवनशक्ति का खूब विकास होता है।

समस्या 12- हर वर्ष गर्मियों में देश के विभिन्न इलाकों में पानी की किल्लत होती है। लोगों व राहगीरों को पीने के लिए पानी बड़ी मुश्किल से मिलता है। कई जगह अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

समाधानः शरबत, छाछ, जल प्याऊ सेवा अभियान।

पूज्य बापू जी के अवतरण दिवस से पूरी गर्मियों में बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन इत्यादि विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर चलने वाली निःशुल्क शीतल पलाश शरबत, छाछ व जल प्याउओं के सेवा-अभियान का शुभारम्भ होता है। भीषण गर्मी में पानी की समस्या होने पर बापू जी के शिष्य दूर-दराज से भी पानी की व्यवस्था करके पथिकों को शीतल शरबत व पानी पिलाते आये हैं। अभी तक करोड़ों लीटर शरबत, छाछ आदि का निःशुल्क वितरण किया जा चुका है।

समस्या 13- पिछले 10 वर्षों में भारत में 8 लाख अजन्मी लड़कियों को गर्भपात करा के मारा गया है। महिलाओं में शराब, धूम्रपान आदि व्यसनों का चलन बढ़ रहा है। दुनिया में लगभग 25 करोड़ महिलाएँ रोजाना धूम्रपान कर रही हैं।

( देखें लिंक – https://www.goo.gl/p4OoAi  )

समाधानः युवतियों व महिला वर्ग का उत्थान।

पूज्य बापू जी की प्रेरणा से चल रहे ‘महिला उत्थान मण्डल’ नारी शक्ति को जागृत करने व आत्मसम्मान दिलाने में सतत सेवारत हैं।

इनके द्वारा युवतियों के सर्वांगीण विकास हेतु ‘युवती संस्कार सभाएँ’ व तेजस्विनी अभियान शिविर’ तथा महिला हेतु  ‘महिला प्रतिभा विकास सभाएँ’, ‘गर्भपात रोको अभियान’, ‘दिव्य शिशु संस्कार’ आदि अभियान चलाये जा रहे हैं। इससे महिलाओं में गर्भपात, धूम्रपान, तलाक, आत्महत्या जैसी समस्याएँ सहज ही दूर हो रही हैं।

कॉल सेंटरों में महिलाओं के चरित्रहनन की खबरें आयीं तब बापू जी ने जाहिर सत्संग में इसके विरूद्ध आवाज बुलंद की थी और बापू जी की प्रेरणा से ‘महिला उत्थान मण्डल’ ने सशक्त रूप से इसका विरोध किया था।

ऐसे सच्चरित्रता, संयम, सदाचार के प्रचारक, सुदृढ़ समर्थक एवं सुंदर समाज के निर्माण में सक्रिय रूप से अतुलनीय योगदान देने वाले महापुरुष पूज्य बापू जी पर लगाये गये आरोप अनर्गल, थोथे, बोगस एवं मनगढ़ंत हैं। आरोप लगाने वाले क्या बापू जी की तरह समाज के करोड़ों लोगों के जीवन में इतने सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं ? संयम, सदाचार, सदभाव, भाईचारा, देशप्रेम, प्राणिमात्र की भलाई में इतने विशाल जन समुदाय को लगा सकते हैं ? जो भलाई की बापू जी ने, वह  निंदक कर सकेंगे क्या ? तो फिर लोगों की श्रद्धा तोड़कर उन्हें सत्पथ से भटकाने का देशद्रोह क्यों ? प्राणिमात्र के मंगल के कार्यों में बाधा पैदा करने का दुष्प्रयास क्यों ?

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2014, पृष्ठ संख्या 6-10, अंक 256

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