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ब्राह्मण को निमंत्रित करने की विधि


 

विचारशील पुरुष को चाहिए कि जिस दिन श्राद्ध करना हो उससे एक दिन पूर्व ही संयमी, श्रेष्ठ ब्राह्मणों को निमंत्रण दे दे | परंतु श्राद्ध के दिन कोई अनिमंत्रित तपस्वी ब्राह्मण घर पर पधारे तो उन्हें भी भोजन करना चाहिए | श्राद्धकर्ता पुरुष को घर आये हुए ब्राह्मणों के चरण धोने चाहिए | फिर अपने हाथ धोकर उन्हें आचमन कराना चाहिए | तत्पश्चात उन्हें आसन पर बिठाकर भोजन कराना चाहिए | पितरों के निमित्त अयुग्म अर्थात एक, तीन, पाँच, सात इत्यादि  की संख्या में तथा देवताओ  के निमित्त युग्म अर्थात दो, चार, छ : आठ आदि की संख्या में ब्राह्मणों को भोजन कराने की व्यवस्था करनी चाहिए | देवताओं एवं पितरों, दोनों के निमित्त एक-एक ब्राह्मण को भोजन कराने का भी विधान है |

श्राद्ध के समय हवन करने की विधि


 

पुरुषप्रवर ! श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले उनसे आज्ञा पाकर शाक और लवनहीन अन्न से अग्नि में तीन बार हवन करना चाहिए । उनमें ‘अग्नये कव्यवाहनाय स्वाहा ।’ इस मंत्र से पहली आहुति , ‘सोमाय पितृमते स्वाहा ।’ इससे दूसरी आहुति  एवं ‘वैवस्वताय स्वाहा ।’ कहकर तीसरी आहुति देने का समुचित विधान है । तत्पश्चात हवन से बचे हुए अन्न को थोडा-थोडा सभी ब्राम्हणों के पत्रों में परोसे ।

श्राद्ध में भोजन कराने का नियम


 

भोजन के लिए बना अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्ता की इच्छा होना चाहिए । पात्रों में भोजन रखकर श्राद्धकर्ता को अत्यंत सुन्दर एवं मधुर वाणी से कहना चाहिए कि’ हे महानुभावो ! अब आप लोग अपनी इच्छा के अनुसार भोजन करे |’ फिर क्रोध तथा उतावलेपन को छोड़कर उन्हें भक्तिपूर्वक भोजन परोसते रहना चाहिए | श्राद्ध की विधि पूर्ण कराने के बाद ब्राह्मण मौन होकर भोजन आरंभ करे | यदि उस समय कोई ब्राह्मण हँसता या बात करता है  तो वह हविष्य राक्षसों का भाग हो जाता है | जब ब्राह्मण लोग भोजन करते हो तो उस समय श्राद्धकर्ता पुरुष श्रद्धापूर्वक भगवान् नारायण का स्मरण करे |