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हिन्दू समाज को कलंकित करने का अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र


सुश्री उमा भारती, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश

5-6 साल से भारत के मान्यवर साधु-संतों को बदनाम करने की शुरूआत हुई। उसमें पहला नम्बर आया कांची पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी का। इन महापुरुष को बलात्कार और हत्या का आरोपी बना दिया गया व बाद में साजिश की पोल खुलने पर दोनों मामलों से वे बरी भी हो गये, लेकिन इन पाँच सालों में उन पर व उनके अनुयायियों पर क्या गुजरी होगी ! हिन्दू समाज की प्रतिष्ठा को कितना नुकसान हुआ ! अब दूसरा टारगेट आसारामजी बापू हैं। बापू तो निकलेंगे निर्दोष होकर लेकिन तब तक प्रतिष्ठा का जो नुक्सान होगा उसकी भरपाई कर पायेगा कोई ? भगवान के घर से भरपाई होती है तो अपने तरीके से होती है। शंकराचार्य के संदर्भ में भगवान के घर से हुई भरपाई ! गुमराह होकर ऐसे पापकर्म करने वाली जयललिता ने ऐसी मुँह की खायी कि अब वह कभी उठकर खड़ी नहीं हो सकती भारत की राजनीति में।

मैं मीडिया के सभी बन्धुओं को कहूँगी कि आपको अपनी जिम्मेदारी इतनी तो समझनी पड़ेगी कि इन संस्थाओं के साथ लाखों करोड़ों लोग जुड़े होते हैं। उन लोगों ने इन संस्थाओं से जुड़कर शराब छोड़ी, दुराचरण छोड़े और उनकी जिंदगी बदल गयी। वे बापू के साथ जुड़ गये तो मानवता की सेवा में लग गये, अच्छे कामों में लग गये, उन्होंने बीड़ी सिगरेट तक छोड़ दिया। जब इन लोगों की श्रद्धा पर आप कुप्रचार द्वारा प्रहार करेंगे तो वे फिर से बुराई के रास्ते पर जायेंगे।

मुझे बहुत दुःख हुआ कि बापू के बारे में ऐसी बातें हुईं। वे भी वहाँ से उदभूत हुई जहाँ पर हमारी विचारधारा वाली सरकार हो। जिनका काम है कि वे साधु-संतों की रक्षा करें, अगर वे ही साधु-संतों पर कुठाराघात करेंगे तो फिर तो अधर्म और पाप का इतना बोलबाला होगा कि फिर वह रोके नहीं रुकेगा। साधक महिलाओं, बालकों, बुजुर्गों के सात कितनी मारपीट हुई है ! यह ठीक नहीं है। साधु-संत ही हैं जो अच्छाई को फूँक-फूँककर सुलगाये हुए हैं, जिन्दा रखे रहे हैं और हम इन्हीं की साँस बंद करने का प्रयास करें तो इससे बड़ा पाप हमारे लिये और क्या हो सकता है ! हम हिन्दू हितों की रक्षा की बात करते हैं और अगर हिन्दू हितों की रक्षा करने वाली पार्टी के ऊपर ये आरोप लग जायें तो फिर हिन्दू समाज किसके दरवाजे पर जायेगा ? मैं आडवाणी जी को मिली थी और वे स्वयं गाँधीनगर से साँसद भी हैं। मैंने उनको कहा था कि कुछ तथ्यों पर आप गौर करिये। बिना इन पर गौर किये हम एक हवा में बह जायें और जो अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र चल रहा है हिन्दू समाज को पथभ्रष्ट कर देने का, हम ही गलती से उस षडयंत्र में भागीदार हो जायें, यह अच्छा नहीं है। इन तथ्यों पर नरेन्द्र मोदी भी गौर करें और बी.जे.पी. के नेता भी –

पहला- अगर बापू के आश्रम में से किसी ने गुरुकुल के बच्चों की हत्या होती तो क्या उनके शव आश्रम के पीछे फेंक देते ?

दूसरा- राजू जिसने स्वयं अपने गुनाह कबूल कर लिये हैं, उनका जीना तो सच को अदालत में साबित करने के लिए जरूरी है तो उसे मरवाने की कोशिश आश्रम क्यों करेगा ?

तीसरा- जमीनों की जहाँ तक बात है, ये जमीनें संस्था को या तो भेंट में प्राप्त हुई हैं अथवा तो खरीदी हुई हैं, जिनके खरीदी के दस्तावेज मौजूद हैं। वे तो आप देखिये !

चौथा- क्या बापू ने यह कहा है कि “मैं नरेन्द्र मोदी की सत्ता मिटा दूँगा।” बापू ने ऐसा कभी नहीं कहा बल्कि चैनलवाले ही बापू के सिर्फ चित्र दिखाकर साथ-साथ खुद बढ़ा-चढ़ाकर शब्द डाल रहे हैं। एंकर और रिपोर्टर जो बोल रहा है उसका कोई मतलब नहीं होता है। मैं मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री थी तब बापू के आश्रम में रुकी हूँ और मेरे पूरे कार्यकाल में कभी प्रशासन या सी.आई.डी. द्वारा आश्रम के संदर्भ में किसी गैरकानूनी कार्य की शिकायत सामने नहीं आयी। बापू को मैं अपना पिता मानती हूँ। बापू पर आरोप बिल्कुल निराधार हैं और इसकी गारंटी मैं लेती हूँ। बापू की संस्था में कोई रहस्यमय गतिविधि नहीं है। जो है सब खुला है। भजन, कीर्तन, सत्संग होता है, साधना होती है। इनकी स्पष्ट गतिविधियाँ हैं कि वे लोगों की बुराइयाँ छुड़ा रहे हैं, गौ सेवा आदि में लगे हैं। तो आसारामजी बापू जैसे संत जो इस प्रकार से समाज-हित के कार्यों में लगे हैं, हमें तो इनके सहयोगी बनना चाहिए।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2010, पृष्ठ संख्या 8, 25

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बापू जैसे सूफी संत अल्लाह के नूर हैं


मोहम्मद इरफान सलमानी, सदस्य राष्ट्रीय मुस्लिम मंच

सूफी संत, महात्मा जो हैं सारे हमारे बुजुर्ग हैं। इनसे हमें सीखने को मिलता है, ये हमारे मार्गदर्शक है। अगर इनके बारे में कोई अखबार हलकी धारणाएँ रखता है, कोई कुछ लिख देता है या कोई छाप देता है तो यह गलत बात है ही। जैसे हमारे पिता हैं, हम अपने पिता के बारे में घिसा-पिटा नहीं सुन सकते हैं तो गुरु तो हमारे पिता के भी पिता होते हैं।

सूफी संत अल्लाह का नूर हैं, बापू ऐसे ही सूफी हैं। ऐसे सूफी के बारे में कोई खराब बोलता है तो हमें तकलीफ होती है।

बापू जी के बारे में तो शायद बच्चा-बच्चा जानता है। बापू जी के आश्रम में लोगों की आँखें खुलती हैं। जहाँ तक मैं अपने समाज के बारे में जानता हूँ, मेरे से ज्यादा बापू जी मेरे समाज के बारे में जानते हैं। मैं उनको चैनल पर देखता हूँ और कई प्रोग्राम उनके अटेंड भी करे हैं मैंने। तो उनके सत्संग में आने के बाद दिल के अंदर एक नयी-सी खुशी जागती है। बापू जी ने कभी किसी का बुरा तो करा नहीं है सिवाय अच्छा के। वे यही चाहते हैं कि हर परिवार सुखी रहे, परिवार में शांति रहे और वे यही रास्ता दिखाते हैं। तो यही इन कुछ लोगों को पसंद नहीं है।

बापू जी के बारे में ये जो अपशब्द कहे जा रहे हैं, ये जो विकल्प दिये जा रहे हैं ये सब झूठ हैं। मैंने कई परिवार देखे हैं जो बापू जी के प्रवचनों से सुख शांति का जीवन व्यतीत कर रहे हैं – उनकी सिर्फ एक वाणी से। वे एक बार जो बात बोल देते हैं उसे पूरा परिवार एक्सेप्ट (स्वीकार) कर लेता है और सही रास्ते पर चलने लगता है। यह इन लोगों (कुप्रचारकों) को पसंद नहीं। बापू कहते हैं नशा मत करो। नशा बेचने वालों को बुरा लगेगा। बापू कहते हैं बुरी आदतें छोड़ दो। बुरी आदतें सिखाने वालों को बुरा लगेगा। तो बापू सिर्फ सीधा रास्ता दिखाते हैं, अक्सर लोग मिलते हैं टेढ़े रास्ते दिखाने वाले। ऐसे लोग ही बापू का कुप्रचार कर रहे हैं।

मौलवी हातीफ कासिम, रोहिणी-दिल्ली मस्जिद के इमामः सूफी संत का काम है सिर्फ सच्चाई दिखाना, अच्छा रास्ता बताना। इसलिए हमारे सूफी बापू आसारामजी भी हैं। उनको कोई समझने वाला चाहिए। उनके अंदर की भावना जो नहीं समझेगा वह उनको क्या समझेगा ! अरे, वह तो बहुत बदनसीब है इन्सान, जिसने बापू के लिए अनर्गल छापा है। अगर सच्चाई पता चलती तो कदमों पर गिर जाता वह ! उसकी किस्मत में ही नहीं है उनके कदमों पर गिरना, पहुँच क्या जायेगा ! उसने जो भी किया है बहुत ही बुरा किया है। ‘संदेश’ अखबार को बंद कर दिया जाय, बरखास्त कर दिया जाय।

बापू पर इल्जाम सभी सूफी फकीरों की तौहीन है और यह इल्जाम नाजायज है।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2010, पृष्ठ संख्या 11

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क्या नरेन्द्र मोदी ‘सेक्यूलर’ बनना चाहते हैं? – पी.दैवमुत्तु


सम्पादक, राष्ट्रीय पत्रिका हिन्दू वॉइस

दिनांक 27 नवंबर 2009 को बहुत से टी.वी. चैनलों पर प्रसारित हुए समाचारों को देखकर मैं हैरान हो गया। गुजरात पुलिस आसाराम बापू के आश्रम में घुसकर वहाँ के लोगों को निर्दयतापूर्वक मार रही थी। बापू जी के साबरमती आश्रम में रहने वाले साधकों को ऐसे मार रही थी जैसे वे कोई कुख्यात अपराधी हों।

समाचार संवाददाताओं का कहना है कि पुलिस ने आसाराम बापू के आश्रम में घुसकर लगभग 150 साधकों को गाँधीनगर में हुई घटना के अपराध में गिरफ्तार कर लिया। गाँधीनगर डी.एस.पी. पीयूष पटेल ने पी.टी.आई. को बताया कि “हमने आश्रम से लगभग 150 लोगों को सर्च ऑपरेशन के समय गिरफ्तार किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि आश्रम में संदेहास्पद वस्तु या कोई भी हथियार नहीं मिला।

अपने व्यवसाय के संबंध में आश्रम के बहुत से साधकों से मैं मिल चुका हूँ। उनसे बातचीत और व्यवहार के फलस्वरूप मैं ऐसा कह सकता हूँ कि किसी आदमी को मारना तो दूर वे एक मक्खी भी नहीं मार सकते। ऐसे साधुओं को घोर अपराधियों की तरह मारना-पीटना यह गुजरात पुलिस का कार्य निंदनीय है। आश्चर्य की बात यह है कि ऐसा निन्दनीय कार्य उस प्रदेश में हुआ जहाँ हिन्दुत्व के पक्षधर श्री नरेन्द्र मोदी का शासन है और जिन पर हमें गर्व था। कुछ समय पहले उनकी सरकार द्वारा अहमदाबाद और सूरत के बहुत से मंदिरों को ढहा दिया गया। ऐसा हिन्दुविरोधी कार्य करके श्री मोदी क्या प्रमाणित करना चाहते हैं ? वे सभी काँग्रेसियों, कम्युनिस्टों, सपा व बसपा की तरह अपने को सेक्यूलर साबित करना चाहते हैं ? यदि श्री मोदी ऐसा सोच रहे हैं तो वे अपनी कब्र खोद रहे हैं, अपने कट्टर हिन्दु समर्थक मतदाताओं को अपने से दूर कर रहे हैं।

पुलिस के द्वारा किसी मस्जिद में घुसकर किसी अपराधी को पकड़ने और मारने की घटना मैंने न तो सुनी है, न तो देखी है। किसी मस्जिद या चर्च में घुसकर लाठीचार्ज करने की बात तो दूर है, केरल स्थित मराड़ में सन् 2003 में शुक्रवार की नमाज अदा कर मस्जिद से लौट रहे मुसलमानों ने जब बहुत से हिन्दु मछुआरों की निर्मम हत्या कर दी तो भी पुलिस ने हत्यारों के साथ इस तरह  वर्तन नहीं किया था, न तो वे मस्जिद में घुसे थे। मैंने यह भी नहीं सुना है कि गुजरात पुलिस ने किसी मस्जिद पर छापा मारकर वहाँ छिपे राष्ट्रद्रोही लोगों को कभी पकड़ा हो।

मैं आसाराम बापू का अनुयायी नहीं हूँ। मैं किसी संत की वकालत नहीं करता। परंतु एक कट्टर हिन्दू होने के नाते मैं गुजरात पुलिस की इस सशस्त्र हिन्दूविरोधी कार्यवाही का विरोध करता हूँ। यदि कोई गैरकानूनी कार्य करता है तो कानून उस पर कार्यवाही कर उसे दंडित कर सकता है, परंतु किसी आश्रम में घुसकर साधकों को निर्दयतापूर्वक पीटना एक जंगली और अप्रजातांत्रिक कृत्य है। क्या गुजरात पुलिस के पास मस्जिद या चर्च में घुसकर इस तरह से बर्बतापूर्वक किसी को मारने की हिम्मत है ?

मेरे साथ अन्य हिन्दू भी श्री मोदी को हिन्दुत्व का रक्षक समझते हैं। क्या वे इस घटना के बारे में स्पष्टीकरण देंगे ? वे यह भी बताये कि वे मस्जिद या चर्च में छिपे राष्ट्रद्रोहियों के प्रति भी इसी तरह की कार्यवाही करेंगे ?

सभी हिन्दू साधु संतों के लिए यह एक चेतावनी है। यदि वे संगठित नहीं होते हैं तो वे भी इस प्रकार की पुलिस बर्बरता के शिकार होंगे।

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