औषधीय गुणों से सम्पन्नः अनानास

औषधीय गुणों से सम्पन्नः अनानास


अनानास पाचक तत्त्वों से भरपूर, शरीर को शीघ्र ही ताजगी देने वाला, हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देने वाला, कृमिनाशक, स्फूर्तिदायी फल है। यह वर्ण में निखार लाता है। गर्मी में इसके उपयोग से ताजगी व ठंडक मिलती है। अनानास के रस में प्रोटीनयुक्त पदार्थों को पचाने की क्षमता है। यह आँतों को सशक्त बनाता है। परंतु इन सबके लिए अनानास ताजा होना आवश्यक है। टीन के डिब्बों में मिलने वाला अनानास का रस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

अनानास के गूदे की अपेक्षा रस ज्यादा लाभदायी होता है और इसके छोटे-छोटे टुकड़े करके कपड़े से निकाले गये रस में पौष्टिक तत्त्व विशेष पाये जाते हैं। जूसर द्वारा निकाले गये रस में इन तत्त्वों की कमी पायी जाती है, साथ ही यह पचने में भारी हो जाता है। फल काटने के बाद या इसका रस निकाल के तुरंत उपयोग कर लेना चाहिए। इसमें पेप्सिन के सदृश एक ब्रोमेलिन नामक तत्त्व पाया जाता है जो औषधीय गुणों से सम्पन्न है। अनानास शरीर में बनने वाले अनावश्यक तथा विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर शारीरिक शक्ति में वृद्धि करता है।

औषधीय प्रयोग

हृदय शक्ति बढ़ाने के लिएः अनानास का रस पीना लाभदायक है। यह हृदय और जिगर (लीवर) की गर्मी को दूर करने उन्हें शक्ति व ठंडक देता है।

छाती में दर्द, भोजन के बाद पेटदर्द होता हो तोः भोजन के पहले अनानास के 25-50 मि.ली. रस में अदरक का रस एक चौथाई चम्मच तथा एक चुटकी पिसा हुआ अजवायन डालकर पीने से 7 दिनों में लाभ होता है।

अजीर्णः अनानास की फाँक में काला नमक व काली मिर्च डालकर खाने से अजीर्ण दूर होता है।

पाचन में वृद्धिः भोजन से पूर्व या भोजन के साथ अनानास के पके हुए फल पर काला नमक, पिसा जीरा और काली मिर्च लगाकर सेवन करने अथवा एक गिलास ताजे रस में एक-एक चुटकी इन चूर्णों को डालकर चुसकी लेकर पीने से उदर-रोग, वायु विकार, अजीर्ण, पेटदर्द आदि तकलीफों में लाभ होता है। इससे गरिष्ठ पदार्थों का पाचन आसानी से हो जाता है।

अनानास वे सेवफल के 50-50 मि.ली. रस में एक चम्मच शहद व चौथाई चम्मच अदरक का रस मिलाकर पीने से आँतों से पाचक रस स्रावित होने लगता है। उच्च रक्तचाप, अजीर्ण व मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है।

मलावरोधः पेट साफ न होना, पेट में वायु होना, भूख कम लगना इन समस्याओं में रोज भोजन के साथ काला नमक मिलाकर अनानास खाने से लाभ होता है।

बवासीरः मस्सों पर अनानास पीसकर लगाने से लाभ होता है।

फुंसियाँ- अनानास का गूदा फुंसियों पर लगाने से तथा इसका रस पीने से लाभ होता है।

पथरीः अनानास का रस 15-20 दिन पीना पथरी में लाभदायी होता है, इससे पेशाब भी खुलकर आता है।

नेत्ररोग में- अनानास के टुकड़े काटकर दो-तीन दिन शहद में रखकर कुछ दिनों तक थोड़ा-थोड़ा खाने से नेत्ररोगों में लाभ होता है। यह प्रयोग जठराग्नि को प्रदीप्त कर भूख को बढ़ाता है तथा अरूचि को भी दूर करता है।

पेशाब की समस्या में- पेशाब में जलन होना, पेशाब कम होना, दुर्गन्ध आना, पेशाब में दर्द तथा मूत्रकृच्छ (रूक-रूककर पेशाब आना) में 1 गिलास अनानास का रस, एक चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाबसंबंधी अन्य समस्याएँ दूर होती हैं।

पेशाब अधिक आता हो तो अनानास के रस में जीरा, जायफल, पीपल इनका चूर्ण बनाकर सभी एक-एक चुटकी और थोड़ा काला नमक डालकर पीने से पेशाब ठीक होता है।

धूम्रपान के नुकसान में- धूम्रपान के अत्यधिक सेवन से हुए दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए धूम्रपान छोड़कर अनानास के टुकड़े शहद के साथ खाने से लाभ होता है।

सभी प्रयोगों में अनानास के रस की मात्रा 100 से 150 मि.ली.। उम्र-अनुसार रस की मात्रा कम ज्यादा करें।

सावधानियाँ- अनानास कफ को बढ़ाता है। अतः पुराना जुकाम, सर्दी, खाँसी, दमा, बुखार, जोड़ों का दर्द आदि कफजन्य विकारों से पीड़ित व्यक्ति व गर्भवती महिलाएँ इसका सेवन न करें।

अनानास के ताजे, पके और मीठे फल के रस का ही सेवन करना चाहिए। कच्चे या अति पके व खट्टे अनानास का उपयोग नहीं करना चाहिए।

अम्लपित्त या सतत सर्दी रहने वालों को अनानास नहीं खाना चाहिए।

अनानास के स्वादवाले आइस्क्रीम और मिल्कशेक ये दूध में बनाये पदार्थ कभी नहीं खाने चाहिए। ये स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है।

भोजन के बीच में तथा भोजन के कम से कम आधे घंटे बाद रस का उपयोग करना चाहिए।

भूख और पित्त प्रकृति में अनानास खाना हितकर नहीं है। इससे पेटदर्द होता है।

छोटे बच्चों को अनानास नहीं देना चाहिए। इससे आमाशय और आँतों का क्षोभ होता है।

सूर्यास्त के बाद फल एवं फलों के रस का सेवन नहीं करना चाहिए।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2012, पृष्ठ संख्या 28,29 अंक 232

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