दबंग बापू

दबंग बापू


ऐसा कोई नाम याद करना चाहें जिनका सब कुछ दबंग हो तो जो नाम मुख में
आता है, वह है – आध्यात्मिक गुरु पूज्य संत श्री आशारामजी बापू !

दबंग प्राकट्य

जन्म के बाद तो हर कोई खुशियाँ मनाता है, लेकिन बापू जी के धरती पर प्राकट्य से पहले ही एक अजनबी सौदागर सुंदर और विशाल झूला लेकर घर पर आ गया। बोलाः “आपके घर संत-पुरुष आऩे वाले हैं।” और खूब अनुनय-विनय करके भव्य झूला दे गया। है ना दबंग प्राकट्य।

दबंग बाल्यकाल

बाल्यावस्था में किसी ने “ऐ टेणी (ठिंगूजी) !” कहकर बुलाया तो बालक आसुमल ने रोज पुलअप्स करके 40 दिनों में ही पीछे से जाकर उसके कंधे पर हाथ रखाः “ऐं पहचाना ?” वह व्यक्ति बोलाः “अरे भाई साहब ! आप… आप… क्षमा करना !” ऐसी दबंगई कि बोलती बंद !

दबंग युवावस्था

आपकी युवावस्था योग, ज्ञान, वैराग्य की दबंगई से सुशोभित रही। एक बार नदी-किनारे खाली बरामदे में रात्रि को ध्यानस्थ बैठे आपको चोर-डाकू समझकर मच्छीमारों का पूरा गाँव लाठियाँ, भाले, हथियारों से लैस होकर आपको घेर के खड़ा हो गया। लेकिन आप तो शांत भाव से भीड़ को चीरते हुए निकल पड़े, किसी की हिम्मत नहीं कि निहत्थे आपको स्पर्श भी करता। डीसा (गुजरात) में बनास नदी के सुनसान तटवर्ती इलाके में एक शराब की भट्टीवाले ने आपके गले पर धारिया (धारदार हथियार) रखा, बोलाः “खींचूँ ?” “तेरी मर्जी पूरण हो।” – यह उत्तर सुनकर वह गला काटने वाला धारिया एक तरफ फेंका और शातिर, खूँखार व्यक्ति खुद चरणों में गिर पड़ा। वह अपराधी व्यक्ति और उसके साथी भी भक्तिभाववाले हो गये। कैसी दबंगई !

दबंग चुनौती

आपने चुनौती भी दो सीधे ईश्वर कोः “मुझे भला तुम्हें पाने के लिए खूब यत्न करने पड़ रहे हैं किंतु तू मुझे एक बार मिल जा, मैं तुम्हें सस्ता बना दूँगा।” और क्या दबंगई है कि पाया भी और चैलेंज निभाया भी !

दबंग मुहब्बत

एक दिन भूख लगी तो उस समय जंगल में रमते ये जोगी हठ कर बैठ गयेः ʹजिसको गरज होगी आयेगा, सृष्टिकर्ता खुद लायेगा।ʹ और दो किसान दूध व फल लेकर हाजिर !

दबंग सत्संग

शरीर की 72 वर्ष की उम्र में भी – बापू जी एक… पूनम एक.. और पूनम दर्शन-सत्संग 4-4 जगह ! हर जगह, हररोज हवा-पानी का बदलाव और सतत भ्रमण… फिर भी अजब स्फूर्ति, अजब मस्ती, अजब नृत्य और नित्य उत्सव… भारत में ही नहीं पाकिस्तान के ʹगाजी गार्डनʹ में भी अभूतपूर्व उत्सव ! ʹविश्व धर्म संसदʹ में भी भारत का दबंग नेतृत्व ! वहाँ के सबसे प्रभावशाली वक्ता, सत्संग के लिए दूसरों से कहीं ज्यादा समय ! सब कुछ दबंग !

दबंग प्रेरणास्रोत

लौकिक पढ़ाई कक्षा 3 तक लेकिन आध्यात्मिक अनुभूति का ज्ञान अदभुत ! तभी तो कई डी.लिट., पी.एच.डी., आई.ए.एस. आदि तथा कई राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, खिलाड़ी, वैज्ञानिक एवं सुप्रसिद्ध हस्तियाँ चरणों में शीश झुकाकर भाग्य चमका लेती हैं।

दबंग पहल

14 फरवरी को ʹवेलेंटाइन डेʹ के स्थान पर ʹमातृ-पितृ पूजन दिवसʹ का विश्वव्यापी अभियान आपने शुरु किया, जिसको आज समाज के सभी धर्म, सभी मत-पंथ, सम्प्रदायों के साथ सभी क्षेत्र के अग्रगणियों, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्रियों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है। महाराजश्री की इस दबंग पहल का समर्थन करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे राज्यस्तरीय पर्व घोषित कर दिया है।

दबंग समता, धैर्य

ʹसाँच को आँच नहीं और झूठ को पैर नहीं।ʹ

करोड़ों रूपये खर्च करके मीडिया के द्वारा किये गये दुष्प्रचार के तमाम षडयन्त्रों में भी सम, निश्चिंत, प्रसन्न बापू जी का धैर्य लाबयान है। आखिर सर्वोच्च न्यायालय ने भी महाराज श्री व आश्रम पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।

दबंग चमत्कार

29 अगस्त 2012 को गोधरा (गुज.) में बापू जी का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ। मजबूत लौह धातु के भारी-भरकम पुर्जों से बने हेलिकॉप्टर के तो टुकड़े-टुकड़े हो गये लेकिन अंदर बैठे बापू जी और सभी शिष्यों के कोमल शरीरों का पुर्जा-पुर्जा चुस्त तंदरुस्त रहा। जबकि आज तक की हेलिकॉप्टर क्रैश दुर्घटनाओं का इतिहास बड़ा रक्तरंजित है। हादसे के तुरंत बाद बापू जी ने भक्तों के बीच पहुँचकर दबंग सत्संग भी किया। हेलिकॉप्टर हुआ चूर-चूर, दबंग बापू जी ज्यों-के-त्यों भरपूर !

दबंग अठखेलियाँ

अपने उस दिलबर ʹयारʹ के साथ महाराजश्री कभी-कभी बड़ी दबंगई से एकांत में अठखेलियाँ करते हैं। मुहब्बत जब जोर पकड़ती है तो शरारत का रूप ले लेती है। संत श्री कहते हैं-

“कभी-कभी तो मैं कमरे में ही चिल्लाता रहता हूँ, “ऐ हरि…!” मजा आता है। मुझे पता है कि वह कहीं गया नहीं दूर नहीं। इतनी बड़ी हस्ती जिसके बड़प्पन का कोई माप नहीं, उसको चिल्लाकर बुलाता हूँ, “ऐ हरि….!” तो भीतर से आवाज आती है – हाँ, हाजिर है।”

इन महाराज का कसम खाने का तरीका भी बड़ा दबंग है। ये अलमस्त औलिया लाखों की भीड़ के सामने कसम खाते हैं- “यदि मैं झूठ बोलूँ तो तुम सब एक साथ मरो।” है किसी की हिम्मत ऐसी कसम खाने की ? और उसी क्षण सामने उपस्थित लाखों का जनसागर आनंदित-आह्लादित हो जाता है। क्या दबंग प्रेमभरी अठखेलियाँ हैं !

दबंग पोल-खोल

ये महाराज ऐसे दबंग हैं कि भगवान की एक-एक ʹनसʹ जानते हैं, ʹप्लसʹ तो क्या ʹमाइनसʹ भी जानते हैं। मिल गये ऐसे मस्त दबंग कि भगवान पूरे-के-पूरे बेपर्दा हो गये, अपने ʹवीक प्वाइंटʹ भी इनसे छुपा नहीं पाये। और आपका जीवन तो ऐसी खुली किताब है कि आप यह ʹप्राइवेट बातʹ भी भक्तों से, श्रोताओं से छुपा नहीं पाये। खोल दी पूरी पोल और पढ़ा दी ऐसी पट्टी कि अब काल भी भक्तों का बाल बाँका नहीं कर सकता। और इससे वह अकाल, सर्वसुहृद ʹयारʹ भी खुश है बेशुमार ! यह है वह दबंग पोल-खोलः

“आप भगवान को कह दो कि हम नहीं मरते, हम क्यों मरेंगे ! मरता हमारा शरीर है। हमको आप भी नहीं मार सकते, हम तो आपके सनातन अंश हैं। हम आपको नहीं छोड़ सकते तो आप भी हमें नहीं छोड़ सकते लाला ! अब हम जान गये, बलमा को पहचान गये। हम संसार को रख नहीं सकते और आपको छोड़ नहीं सकते और आप भी संसार को एक-जैसा नहीं रखते और हमें छोड़ नहीं सकते। भगवान को चुनौती दो कि आप हमें छोड़ के दिखाइये।”

भगवान को स्वयं चुनौती देने वाले और भक्तों-साधकों से भी दिलाने वाले कैसे दबंग हैं ये महाराज !

महाराज की खुली चुनौती हैः अगर है किसी में ताकत तो ईश्वर के साथ का संबंध तोड़ के दिखा दे। मैं उसका चेला बन जाऊँगा और मेरे सारे आश्रम और सारे शिष्य उसको समर्पित कर दूँगा।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2013, पृष्ठ संख्या 2,27,28 अंक 241

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