बापू जी के साधकों के ऊपर भी हुआ घोर अत्याचार

बापू जी के साधकों के ऊपर भी हुआ घोर अत्याचार


देश विदेश के साधकों में इस षड्यन्त्र के खिलाफ घोर रोष फैल गया है। देश भर में शांतिपूर्वक विरोध करते हुए रैलियाँ, धरना-प्रदर्शन चालू हो गये हैं।

पूज्य बापू जी के 3 साधकों के ऊपर भी झूठा आरोप लगाया गया। उनमें से एक साधक शिवा के साथ पुलिस ने पूछताछ के नाम पर आतंकवादी की तरह व्यवहार किया। आरोप लगाने वाली लड़की ने कहा कि 15 अगस्त की रात को उन सबको शिवाभाई बुला के ले गये थे। जबकि शिवाभाई की टिकट व मोबाइल लोकेशन से पता चलता है कि वे शाम को ही दिल्ली निकल गये थे। शिवाभाई से पुलिस रिमांड के बल पर कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाये गये। ऐसा करने के लिए पुलिस पर कितना प्रभाव-दबाव रहा होगा ! शिवाभाई के साथ बेरहमी से मारपीट की गयी, प्रलोभन दिये गये, कान का पर्दा भी खराब कर दिया गया। बापू जी के खिलाफ बयान दिलाने के लिए क्या यह साजिशकर्ताओं का पुलिस पर दबाव नहीं है ? हाथ की कोहनियों व घुटनों पर जूते पहनकर आघात करते हैं। कहते हैं कि ʹयह सब मेडिकल जाँच में नहीं आयेगा।ʹ ऐसा कहकर शारीरिक के साथ मानसिक पीड़ा भी देते हैं। भगवान ऐसी पीड़ा किसी निर्दोष को न दें, जो शिवाभाई को दी गयी। पूज्य बापू जी पर ऐसा दबाव बनाया गया। कोई भी कागज पढ़कर सुनाये बगैर उन पर हस्ताक्षर करवाये गये।

जब ʹसहारा समयʹ व ʹपी-7ʹ न्यूज चैनलवालों ने पूछा तो शिवाभाई ने सारा हाल कह डालाः “बापू जी कभी किसी लड़की से एकांत में नहीं मिलते हैं। मैं 8 साल से गुरुदेव के साथ रहता हूँ। ऐसा कुछ हुआ नहीं है और कहीं-न-कहीं ये षड्यन्त्रकारियों की सेटिंग है। मेरे पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, कोई सीडी नहीं है, जैसा मीडिया द्वारा फैलाया जा रहा है। मेरे साथ पुलिस द्वारा जबरदस्ती की जा रही थी। पुलिस ने मेरी चोटी उखाड़ दी, मेरे को बहुत मारा-धमकाया कि जो हम बोलें वह तुझे बोलना है। मेरे पास पेपर भी लाये कि तुम्हारे पास से हमें सीडी हमें मिली है-ऐसा हस्ताक्षर करके स्वीकार करो। जबकि मेरे पास कोई सीडी नहीं है।” शिवा ने अदालत में इस बात की शिकायत भी की।

इस बात की पुष्टि तथा मीडिया में चल रही झूठी बातों की पोल खोलते हुए डीसीपी अजय पाल लाम्बा ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहाः “हमें कहीं से भी कोई सीडी, कोई मूवी या विडियो क्लिप बरामद नहीं हुई है। ये तथ्यहीन बातें हैं।”

किसी भी व्यक्ति को पुलिस हिरासत में लेने के बाद 24 घंटों के अंदर मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करना कानूनी अनिवार्य है। फिर भी गैर-कानूनी ढंग से जोधपुर पुलिस ने  3 दिन तक शिवाभाई की रिमांड लेने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया।

छिंदवाड़ा गुरुकुल की वार्डन शिल्पी का पिछले 6 माह में पूज्य बापू जी से मौखिक या फोन से कोई सम्पर्क नहीं रहा है। जोधपुर पुलिस ने छिंदवाड़ा जाकर उस पर भी दबाव डाला। साथ ही आरोप लगाने लड़की की सहेलियों को भी बहलाया व धमकाया तथा उन्हें भी उसी तरह का बयान देने के लिए बाध्य किया। जो पूछताछ कुछ घंटों में पूरी हो सकती थी, उसे 3 दिन तक जारी रख के कुत्सित प्रयास किये गये। इन सबसे परेशान होकर छात्राओं ने ʹराजस्थान पुलिस ऐसा दबाव क्यों बनाती है ?ʹ ऐसा सवाल उठाया व उनके विरूद्ध नारे लगाये, तब कहीं राजस्थान पुलिस छिंदवाड़ा से वापस लौटी।

क्या यह साजिशकर्ताओं का दबाव, प्रलोभन या जो भी कुछ कहो, स्पष्ट नहीं दिखता ? इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने का कितना घोर षड्यन्त्र हो रहा है। नहीं तो देश की सेवा करने वाले ऐसे महापुरुष तथा उनके साधकों के साथ आतंकवादी की तरह व्यवहार नहीं किया जाता। यह घोर निंदनीय है। एक लड़की की निराधार बातों के आधार पर एक ऐसे संत, जिनकी वाणी को दुनिया के करोड़ो लोग श्रद्धापूर्वक सुनते हैं, जिन महापुरुष के साथ करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाएँ जुड़ी हैं, उनके साथ ऐसा अत्याचार यह न्याय प्रणाली और कानून-व्यवस्था का दुरुपयोग नहीं तो और क्या है ?

स्रोतः ऋषि प्रसाद, सितम्बर 2013, अंक 249

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