Monthly Archives: October 2013

चालबाज महेन्द्र चावला और उसके आरोपों की हकीकत


झूठे मनगढ़ंत आरोप लगाने वाले महेन्द्र चावला की पोल उसके भाइयों ने ही खोल दी। उसके सगे भाइयों – श्री तिलक चावला, श्री देवेन्द्र चावला व श्री जितेन्द्र चावला से प्राप्त जानकारियाँ हैरान करने वाली हैं। उनका कहना था।

“महेन्द्र को 8वीं पास होने के बाद कुछ आदतें गलत हो गयी थीं। वह 9वीं व 10 वीं में फेल हो गया था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद हमने उसकी पढ़ाई के लिए पानीपत में अलग कमरे की व्यवस्था की। महेन्द्र चोरियाँ करता था। एक बार घर से 7 हजार रूपये लेकर भाग गया था। एक हफ्ते बाद वापस आने पर बोला कि ‘मेरा अपहरण हो गया था।’ बाद में उसने स्वीकार कर लिया था कि उसने झूठ बोल दिया था।

कुछ स्वार्थी असामाजिक तत्त्वों के बहकावे में आकर महेन्द्र कुछ-का-कुछ बकने लगा। इसे जरूर 10-15 लाख मिलें होंगे।

उसने यह भी बताया कि नारायण साँईं के बारे में उसने जो अनर्गल बातें बोली हैं, वे बिल्कुल झूठी व मनगढ़ंत हैं। हम साल में 2-3 बार अहमदाबाद आश्रम जाते हैं और लगातार महीनेभर भी वहाँ रह चुके हैं लेकिन कभी ऐसा कुछ नहीं देखा-सुना। अभी जो लड़की उसके साथ है (अविन वर्मा) वह पहले क्यों नहीं बोली ? उसी समय निकलकर बोलती कि हमारे साथ ऐसा-ऐसा हुआ है।

महेन्द्र इससे पहले कभी हमें कुछ क्यों नहीं बोला ? अभी एकदम क्यों ऐसा बोलना शुरु कर दिया ? वह सरासर झूठ बोल रहा है।”

श्री तिलक चावला ने यह भी बताया कि “महेन्द्र के खिलाफ एफ आई आर भी दर्ज हुई थी क्योंकि यह किसी से सामान लेकर आया था, उसके पैसे नहीं दिये थे, बड़ी मुश्किल से हम लोगों ने समझौता करवाया। एक बार तो महेन्द्र ने एक व्यक्ति की पीठ में स्टेपलर मार दिया, उसको पटक कर मारा, जिस कारण उसे टाँके भी लगे। लेकिन उन लोगों ने हमारी वजह से इसको छोड़ दिया।

आश्रमवाले क्यों किसी को मारने की धमकी देंगे ? महेन्द्र के साथ चार-पाँच लोगों की गैंग है। दूसरों की आवाज  निकाल के ‘मैं नारायण साँईं बोल रहा हूँ, मैं फलाना बोल रहा हूँ…. मैं यह कर दूँगा, मैं वह कर दूँगा।’ ये सब लोग मिलकर पता नहीं क्या-क्या साजिश कर रहे हैं ! हमें तो यह डर है कि यह जिन लोगों के साथ मिला हुआ है वे इसे मरवा ही न दें ?”

चालबाज महेन्द्र चावला ने स्वयं  लगाये हुए झूठे आरोपों की पोल खोलते हुए  न्यायाधीश श्री डी. के. त्रिवेदी जाँच आयोग के समक्ष कहा था कि ‘मैंने अहमदाबाद आश्रम में कोई तंत्रविद्या होते हुए देखा नहीं।” उसने यह भी स्वीकारा कि “यह बात सत्य है कि कम्पयूटर द्वारा किसी भी नाम का, किसी भी प्रकार का, किसी भी संस्था का तथा किसी भी साइज का लेटर हेड तैयार हो सकता है। बनावटी हस्ताक्षर किये गये हों, ऐसा मैं जानता हूँ।”

अब ये महेन्द्र चावला और अमृत वैद्य मीडिया में आकर चरित्रहनन आदि के मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं। इनकी वास्तविकता जानने के बाद अब पाठक स्वयं ही निर्णय करें ऐसे लोगों से किसी प्रकार के सच की उम्मीद क्या की जा सकती है  ?

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 9, अंक 250

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

बिके हुए चैनलों को घर से निकाल देना चाहिए


श्री अभय वर्तक, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन सस्था

पूज्य बापू जी के ऊपर जो सरासर झूठे आरोप लगाये गये हैं इससे हरेक हिन्दू के मन में पीड़ा हुई है।

हरेक हिन्दू जानता है कि ये जो षड्यन्त्र रचा गया है, इसके पीछे एक अंतर्राष्ट्रीय शक्ति है, जो इस षड्यन्त्र को नियन्त्रित कर रही है और दुर्भाग्य से हमारे देश के ही कुछ नागरिक चाहे वे मीडिया में हों, चाहे सत्ता में हों उस षड्यन्त्र का एक भाग बन चुके हैं। बापू जी जैसे  संत लोगों की भलाई करते हैं लेकिन सरकार तो उनके चरणों के नीचे काँटे बिछा रही है। हिनदू समाज को इकट्ठा होते देख उनसे सहा नहीं जा रहा है।

हमारे परम पूज्य बापू जी निर्दोष होते हुए भी उनके ऊपर अन्याय किया जा रहा है, वह भी इस राष्ट्र में जहाँ लोकतन्त्र है। सच्चाई सामने लाना जिस पत्रकारिता का प्रथम कर्तव्य है, उन्हीं में से कुछ बिके हुए लोग सच्चाई छुपाकर गलत  बातें लोगों के मन में संस्कारित कर रहे हैं।

जो चैनल हमारे पूजनीय बापू जी के ऊपर कीचड़ उछालते हैं, उन बिके हुए चैनलों को पहले घर से निकाल देना चाहिए। पूज्य बापू जी और हिन्दू धर्म पर झूठे आरोप लगाने वाले चैनलों और पत्रिकाओं का हम सब बहिष्कार करते हैं, उन्हें धिक्कारते हैं !

एक दूसरी स्वतंत्रता की लड़ाई शुरु हो गयी है। सरकार को मालूम है कि ‘अरे, बापू जी पर हम कीचड़ उछाल रहे थे, इतने सारे संत इकट्ठे हो गये ! अब क्या करेंगे ?’ इसलिए सरकार ने रणनीति बनायी है और उनका पहला पत्थर महाराष्ट्र से रखा गया है। महाराष्ट्र में ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून पारित हो गया है। पूरे हिन्दू धर्म व हिन्दू समाज के संतों का विध्वंस करने वाला यह कानून है। मैं सभी संतगणों से यह प्रार्थना करूँगा कि इस ‘पत्थर’ को उसी महाराष्ट्र की जमीन में दबा देना चाहिए।

हमें इस राष्ट्र को हिन्दू राष्ट्र बनाना होगा। जिसमें सरकार वेदपाठशाला चलायेगी, जिसमें सरकार हरेक स्कूल में ‘ऋषि प्रसाद’ को पढ़ायेगी और उसी राष्ट्र में संतों के मार्गदर्शन के अनुसार वहाँ के राज्यकर्ता राज्य करेंगे। ऐसा हिन्दू राष्ट्र बनाने का संकल्प हम करेंगे। फिर कोई हिम्मत नहीं करेगा कि पूज्य बापू जी के ऊपर कीचड़ उछाले।

बापू आशारामजी के ऊपर षड्यन्त्र रचना बहुत निंदनीय है

संत श्री बाबा देविन्दरसिंहजी, अध्यक्ष, आश्रम निर्मल कुटिया

बापू आशारामजी जैसे महात्मा जो लाखों लड़कियों की इज्जत बचाने के लिए नित्य परिश्रम करते हैं, उनके ऊपर यह षड्यन्त्र रचना बहुत निंदनीय है। जिधर-जिधर से आशारामजी जाते हैं उधर-उधर धर्म का रास्ता बनता है व बनेगा। वह भी समाँ आयेगा जब ऐसे संगत फिर बैठेगी और बापू जी ज्ञान का दान करेंगे, वह दिन दूर नहीं।

पूज्य बापू जी निर्दोष हैं

श्री रमेश शिंदे जी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

पूज्य बापू जी निर्दोष हैं। बापू जी ने ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश’ पुस्तक करोड़ों की संख्या में बाँटी है। जिसमें व्यभिचार होता था उस ‘वेलेंटाइन डे’ को बदलकर बापू जी ने ‘मातृ-पितृ पूजन दिन’ बनाया है। जो गलत राह पर जाते थे उन युवाओं को सही मार्ग पर लाने वाले बापू जी हैं और उनके ऊपर ये कैसे आरोप लगाते हैं !

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 12, अंक 250

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

भारत देश की शान हैं बापू जी – पी.दैवमुत्थु


सम्पादक, ‘हिन्दू वॉइस’ मासिक पत्रिका

पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू अथक मेहनत करके देश को, देशवासियों को उन्नत कर रहे हैं। वर्षभर में पूज्य बापू जी के 200 से भी ज्यादा सत्संग-कार्यक्रम पूरे देश में हो रहे हैं। सदी हो या गर्मी, आँधी हो या बरसात वे अपनी सुविधा को किनारे करके अविरत देश व देशवासियों को उन्नत करने की सेवा करते हैं।

गुजरात के डांग जिले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग आदिवासियों के घर-घर जाकर जनसम्पर्क अभियान कर रहे थे। वे जिस भी घर में वहाँ पूज्य आशारामजी बापू का फोटो बड़े सम्मान के साथ लगा हुआ था या पूजा की जगह रखा हुआ था। संघ के एक सदस्य ने एक  महिला से पूछ ही लिया कि “तुम लोगों ने ये बाबा जी का फोटो अपने घर में क्यों लगा रखा है ?” वह बड़े स्वाभिमान के साथ बोलीः “ये हमारे भगवान हैं !”

“कैसे ?”

“मेरे पति शराब पीते, जुआ खेलते और रोज रात को मुझे मारते थे। काम धंधे पर भी नहीं जाते थे। हमारे पास खाने को नहीं था। बच्चे भी स्कूल नहीं जा पाते थे। घर में बड़ा तनाव रहता था। बापू जी यहाँ भँडारा व सत्संग करने आये तब मेरे पति ने बापू जी से भगवन्नाम की दीक्षा ली। तब से इनका जुआ, शराब और सब गंदी आदतें छूट गयीं। अभी वे समय से काम पर जाते हैं। बच्चों को भी अच्छे स्कूल में दाखिल करवा दिया है। घर में तीनों वक्त खाना बनता है। हमारी जिंदगी में सुख शांति है ! अब आप ही बतायें कि हम बापू जी को भगवान नहीं मानें तो और किसको मानें ?”

यह सुनकर मुझे समझ में आ गया कि लोग बापू जी को भगवान क्यों मानते हैं।

लोग अगर पूछेंगे की ‘बापू जी के खिलाफ ही काफी सारे मीडिया वाले क्यों दिखाते हैं ? कहीं-न-कहीं बापू जी ने कुछ तो गलत किया होगा !’

मीडियावाले ज्यादा दिखायें या कम, एक साथ दिखायें या अलग-अलग करके लेकिन जो झूठी खबर है वह सच्ची नहीं हो सकती।

सच्चाई यह है कि प्रतिवर्ष अरबों-खरबों की सम्पत्ति को लूटकर विदेश ले जाने वाली  मल्टीनेशनल कम्पनियों की इस साजिश को नेस्तनाबूद करने का साहसपूर्ण करने का कार्य अगर किसी ने किया है तो वे बापू जी हैं। ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मांतरण के काले कारनामों को जिन्होंन  उजागर किया है वे बापू जी हैं। बापू जी बगैर दिखावा किये सच्चाई से मानवता की सेवा कर रहे हैं। यही कारण है कि बापू जी के विरुद्ध कभी ईसाई   मिशनरियाँ तो कभी मल्टीनेशनल कम्पनियाँ मीडिया को मोहरा बनाकर षडयन्त्र करती रहती हैं। थोड़ा विस्तार में जानते हैं-

बापू जी सबको ‘सादा जीवन, उच्च विचार’, और स्वदेशी के सिद्धान्त पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। बापू जी  मंत्र-चिकित्सा, ध्यान, प्राणायाम एवं स्वदेशी आयुर्वेदिक चिकित्सा को अपनाने की सीख देते हैं। इससे मल्टीनेशनल कम्पनियों का प्रतिवर्ष कई हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है।

जो एक बार भी बापू जी के सत्संग में जाते हैं, बापू जी उनके दिलों में सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के प्रति इतना आदर, प्रेम व महिमा भर देते हैं कि लोग अपने को ‘हिन्दू’ एवं ‘भारतवासी’ कहलाने में गर्व का अनुभव करते हैं। लाख-दो लाख तो क्या करोड़ों रुपये देकर भी अपना धर्म छोड़ने को तैयार नहीं होते। इससे उस क्षेत्र में चंद पैसे और सुविधाएँ देकर धर्मांतरण करने वाली ईसाई मिशनरियों का तो बोरिया-बिस्तर ही बँध जाता है। आखिर वे लोग परेशान होकर बापू जी के विरूद्ध षडयन्त्र करते हैं ताकि लोगों को अपने धर्म की महिमा का ज्ञान बापू जी से ही मिल रहा है। और जब तक लोग ऐसे संतों से मार्गदर्शन प्राप्त करते रहेंगे तब तक उन्हें धर्मांतरित करना तो दूर रहा बल्कि उनसे इस विषय में बात करने  में भी मिशनरियों को भय लगता है। इसीलिए परेशान होकर वे मीडिया को मोहरा बनाकर संतों को बदनाम करती हैं।

अब बात रही मीडिया की… मीडिया आज एक बहुत बड़ा बिजनेस बन गया है। की मीडियावाले घूस खाकर झूठी खबरें दिखाते हैं और कई टी आर पी बढ़ाने के लिए कुछ-का-कुछ दिखाते रहते हैं। इसके दो प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देना चाहता हूँ। पहला, ‘2जी स्पेक्ट्रम’ घोटाले में मीडिया ने दलाली का काम किया था यह जगजाहिर हो चुका है। इंटरनेट पर उन लोगों के बीच की बातचीत कोई आज भी सुन सकता है। हाल ही में एक टीवी चैनल के सम्पादक ने एक कम्पनी के विरूद्ध नकारात्मक खबर न दिखाने के लिए  100 करोड़ की दलाली माँगी, जिसके लिए उस सम्पादक को गिरफ्तार कर लिया गया था। ऐसे औरों के भी उदाहरण मिलेंगे। आज उन्हें बस पैसा ही नजर आता है, अपने धर्म, संस्कृति, मान-मर्यादा का कुछ पता नहीं है। पैसे के लिए अपना धर्म, शास्त्र व मर्यादाओं को बेच दिया, अपने कुल-खानदान की परम्पराओं को ठुकरा दिया और अथकरूप से समाज की भलाई में लगे हुए भगवत्स्वरूप संतों के उज्जवल चरित्र पर प्रहार कर दिये !

जिन संतों ने अपनी भरी जवानी देश की सेवा में बलिदान कर दी, जिन्होंने लाखों लोगों को सच्चरित्रता की राह पर लगाया, अपने व्यक्तिगत परिवार के  मोह को त्यागकर बेसहारा, गरीब तथा आदिवासी लोगों के दुःखों को अपने  सिर-माथे पर रखा, उनकी समस्या को अपनी समस्या समझकर उन्हें सहानुभूति, प्रेम, सांत्वना देते हुए तन-मन-धन से उनकी सेवा की, ऐसे संतों को बदनाम करके पैसा कमाने वाले जरा सोचें तो सही कि क्या उस पैसे से उनके परिवार में शांति, आनंद, स्वास्थ्य, निश्चिंतता है ?

चंद मीडियावाले ही मिलेंगे जो आज भी सत्य के मार्ग पर अडिग हैं और पैसों के लिए लोगों की श्रद्धा के साथ खिलवाड़ नहीं करते। धन्य हैं उनके माता-पिता ! धन्य हैं वह सौभाग्यशाली मीडियावाला !

तीन सुधारे देश को, संत सती और शूर।

तीन बिगाड़े देश को, कपटी कायर क्रूर।।

जब हम लोग दिवाली पर अपने परिवार जनों के बीच हर्षोल्लास के साथ आनंद ले रहे होते हैं, तब बापू जी संसार की सुख-सुविधा और शोर-शराबे से दूर समाज से उपेक्षित आदिवासियों को कम्बल, दवाएँ, वस्त्र, अन्न, टिफिन, तेल, मिठाइयाँ आदि बाँट रहे होते हैं। यह सब मीडिया ने कभी दिखाया है क्या ? नहीं ! क्योंकि यह सब दिखाने से उनके चैनलों की टी आर पी नहीं बढेगी ऐसा उलटा पाठ उन्हें पढ़ाया गया है। क्या हो गया है इनको ! इतनी उलटी सीख ! इतना स्वार्थ ! इतनी गिरी हुई मानसिकता !

अगर कोई संत सच्चाई से लोगों को जागृत करने लग जायें तो यह कैसे सम्भव हो कि देशविरोधी तत्त्वों को तकलीफ न हो ? बापू जी के सत्संग में जाकर लोगों की शराब छूट गयी,  महँगी-महँगी दवाओं और बिनजरूरी ऑपरेशनों से लोग बच रहे हैं, जनता सादगी और स्वदेशी के सिद्धान्त पर चल रही है, जिससे कई लूटने वालों की आजकल पहले जैसी सेल नहीं होती है। तो अब इसमें बापू जी का क्या कसूर है ?

लोगों से मेरा अनुरोध है कि वे बिकाऊ मीडिया पर नहीं, अपने अनुभव का आदर करें कि बापू जी के सत्संग में जाने से हमारे जीवन में अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी समझ व सुख-शांति आयी तथा और भी कई शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक लाभ हुए हैं। बापू जी व्यक्ति-विशेष का नहीं अपितु अच्छाई का पक्ष लेते हैं। उनमें ऐसा कला-कौशल है, वे अच्छाई ऐसे ढंग से भरते हैं कि बुराई अपने-आप भाग जाती है।

बाबा रामदेव जी के ऊपर जब दंतमंजन में हड्डी का चूर्ण मिलाने का आरोप लगा था, तब बापू जी ने इसे षडयन्त्र बताकर बाबा रामदेव जी का समर्थन किया था। परमादरणीय शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती जी को पुलिस ने गिरफ्तार किया, तब भी पूज्य बापू जी ने उसे भारतीय संस्कृति के विरूद्ध षडयन्त्र बताते हुए उस दुष्कृत्य की आलोचना ही नहीं की बल्कि दिल्ली की सड़कों पर जाकर धरना भी दिया। ऐसे संतों का आदर नहीं करें तो और किसका करें ?

बापू जी के दिव्य कर्मों से ही उनके दिव्य विचारों व दिव्य जीवन की झलक मिल जाती है। देश में जब भी किसी के साथ अन्याय हुआ है तब-तब बापू जी ने उसका विरोध किया है। इसीलिए बापू जी को मेरा नमन ! वंदन ! भगवान आपकी आयु लम्बी करें ताकि आप लम्बे समय तक विश्वमानव की सेवा कर सबको नेकी की राह पर लगाते रहें, सबको जीवन जीने की राह दिखाते रहें।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2013, पृष्ठ संख्या 24-26, अंक 250

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ